कई पुरातन महत्व की चीजो को भी निगल गयी केदार धाम की आपदा

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16-17 जून 2013 केदारनाथ में ऐसा सैलाब आया जो अपने साथ सब कुछ बहा ले जाने को बेताब दिख रहा था। जिसने भी उस मंजर को देखा और जीवित बच गया उसकी आंखों में खौफ का वह मंजर जिंदा रहने तक तैरता रहेगा। इस तबाही ने ना सिर्फ लोगों की जान ली बल्कि केदारनाथ धाम की पहचान रही उन दिव्य कुंडों को भी लील लिया जिनसे लोगों की आस्था जुड़ी है।

अब तक मिल पाए केवल दो कुंड

केदारनाथ की तबाही के 9 साल हो गए लेकिन अब तक 5 दिव्य कुंडों में से महज 2 कुंडों को ही ढ़ूंढ़ा जा सका है। श्रीबदरीनाथ केदारनाथ कमेटी के एग्जिक्यूटिव ऑफिसर एन. पी. जमलोकी बताते हैं कि यहां के तीन प्रमुख कुंड अब भी मलवों के नीचे दबे हुए हैं और उनकी खोज जारी है। जो दो कुंड अब तक मिल पाए हैं वह हैं अमृत कुंड और उदक कुंड।

उदक कुंड जानें महत्व

केदारनाथ मंदिर से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित है उदक कुंड। कहते हैं इस कुंड में शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल आता है। श्रद्धालु इस कुंड का जल अपने साथ ले जाया करते हैं। इस जल की महिमा यह बताई गयी है कि मृत्यु के समय इसे मुंह में डाल देने से व्यक्ति की आत्मा को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

अमृत कुंड का जल

अमृत कुंड की महिमा यह है कि इसका जल श्रद्धालु अपने ऊपर छिड़कते हैं। इससे इस कुंड का जल रोग दोष को दूर करने वाला माना जाता है। इन दोनों कुंडों के अलावा तीन दिव्य कुंड जो अभी तक नहीं मिल पाए हैं उनमें सबसे प्रमुख नाम है हंस कुंड।

लापता हंस कुंड का ये है महत्व

हंस कुंड के बारे में केदारखंड में उल्लेख मिलता है कि यहां पर ब्रह्मा जी ने हंस का रूप धारण किया था। इस स्थान पर पितरों का तर्पण और अस्थि विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि यहां तर्पण, अस्थि विसर्जन और मृत व्यक्ति की जन्मकुंडली विसर्जित करने से जीवात्मा को मुक्ति मिल जाती है।

ओम नमः शिवाय पर आनंदित होने वाला कुंड

रेतस कुंड का भी अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस कुंड के विषय में कथा है कि यहां पर कामदेव के भष्म होने पर देवी रति ने विलाप करते हुए आंसू बहाया था। इस कुंड की अद्भुत विशेषता यह है कि यहां ओम नमः शिवाय बोलने पर पानी का बुलबुला उठने लगता है। 16 जून 2013 के बाद से श्रद्धालुओं को इस दिव्य कुंड के दर्शन नहीं मिल पा रहे हैं। यह अभी भी मलवे में दबा हुआ है।

कहां गया हवन कुंड

यहां हवन किया जाता था। यह कुंड मंदिर के सामने हुआ करता था। केदारनाथ में आयी तबाही के बाद से इस कुंड का पता नहीं चल पाया।

-एजेंसी