मृत्युलोक में अमरता का भ्रम होना सबसे बड़ी भूल, श्रीकृष्ण के गोलोक गमन के प्रसंग के साथ कथा का हुआ समापन

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आगरा। मृत्युलोक में अमरता का भ्रम सबसे बड़ी भूल है। यह आवागमन का रंगमंच है। जहां पर निश्चित क्रियाकलाप के बाद जीव को वापस लौटना होता है। स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण को भी समय पूरा होने पर गोलोक धाम जाना पड़ा। इस असार संसार का यही मर्म है। इसे समझते और जानते हुए हर व्यक्ति को अपनी सांसारिक जिम्मेदारियां निभाते आत्मकल्याण के पथ पर बढ़ना अनिवार्य है। ये कहना था बोदला सेक्टर-1, स्थित जीवन ज्योति पार्क में चल रही भागवत कथा महोत्सव में सातवें दिन कथावाचक प्रेम प्रकाश महाराज का। मंगलवार को नव योगेश्वर संवाद, श्रीकृष्ण गोलोक गमन वर्णन व व्यास पूजन किया ।

व्यासपीठ से प्रेमप्रकाश महाराज ने कहा कि संसार कर्म क्षेत्र है। यहां सबको क्षमता और अपने विवेक, कार्य कुशलता प्रमाणित करनी पड़ती है। क्योंकि व्यक्तित्व के पहचान की यही कसौटी है। ऐसे में निरंतर कर्म करते हुए हमें सत्संग और साधना के पथ पर चलना होगा। समापन पर श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम श्लोक-नाम संकीर्तनम यस्य सर्व पाप प्रणासनम का श्रद्धालुओं ने वाचन किया, जिसका अर्थ भगवान के नाम संकीर्तन से जीव के सभी प्रकार के पापों-संतापों का नाश होने से है।

मीडिया प्रभारी विमल आगरावाला ने बताया कि बुधवार को सुबह 10 बजे हवन के बाद भंडारे के साथ कथा का समापन होगा। मुख्य यजमान अजय अग्रवाल मघटई और प्रवीणा अग्रवाल है। इस अवसर पर अध्यक्ष केदारनाथ अग्रवाल, संयोजक विवेक अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, अमित गोयल, मुकेश नेचुरल, डॉ. संजय अग्रवाल, प्रतिभा जिंदल, मनोज शर्मा, शम्बूनाथ अग्रवाल, माधव, राधव, मनीष, अजय आदि मौजूद रहे।