ताजमहल या तेजोमहालय: बाबरनामा और हुमायूंनामा में भी उल्लेख, ASI के जवाब के बाद कोर्ट में केस दायर, 9 अप्रैल को सुनवाई

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योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अजय प्रताप सिंह ने शोध के बाद कहा- ताजमहल हिंदू मंदिर

योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने ताजमहल कों तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताते हुए आगरा सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन में केस दायर किया है। न्यायालय ने सुनवाई की अगली तिथि 9 अप्रैल नियत की है। केस में ताजमहल को हिंदू मंदिर बताने वाले अनेक प्रमाण दिए गए हैं। यह भी कि हुमायूँनामा में ताजमहल का उल्लेख है। गुलबदन बेगम ने हुमायूंनामा सन् 1576 में लिखा था। अकबर ने यह आदेश था दिया कि वे सभी लोग जो बाबर और हुमायूं से जुड़े रहे हैं, वे संस्मरण लिखें।

ट्रस्ट के अध्यक्ष व वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को एक RTI दायर कर पूछा था कि ताजमहल कब बनना शुरू हुआ, कब खत्म हुआ और ताजमहल के भवन की आयु क्या है? ASI ने जवाब देते हुए बताया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है जिसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।

आगरा गजेटियर, ASI बुलेटिन और रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल के अनुसार ताजमहल का शिल्पकार विवादित है। वर्ष 1946 के ASI के बुलेटिन में ASI के महानिदेशक माधोस्वरूप वत्स के लेख रिपेयरिंग ऑफ ताजमहल में लिखा है कि ताजमहल का शिल्पकार एक विवादित तथ्य है। जब 1652 के औरंगजेब के एक पत्र के अनुसार ताजमहल के शिल्पकारों के पास ताजमहल में वर्षा ऋतु में जो रिसाव हुआ था उसकी मरम्मत के कोई सुझाव उपलब्ध नहीं थे। ASI ने ताजमहल के मुख्य गुम्बद की मरम्मत शुरू की तो ASI को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला। उसमें जगह जगह चूना पत्थर भरे गए थे।

ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी पीटर मुंडी ने वर्ष 1632 में ताजगंज के बाजार का उल्लेख किया है जबकि उस समय ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था।

अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट में ताजमहल के भीतर उन्हें ब्लैक बेसाल्टिक पिलर मिला था जिसपर कछुआ बना था जोकि जैन धर्म के तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का चिन्ह है। मुनिसुव्रतनाथ या मुनिसुव्रत जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर माने गए हैं। उनके पिता का नाम सुमित्र और माता का नाम पद्यावती था। ये भगवान राम के समकालीन माने गये हैं। उनका जन्म राजगृह (राजगिर) और निर्वाण संमेदशिखर पर हुआ था।

शाहजहां के प्रेम कहानी का वर्णन कासिम अली अफरीदी ने किया है जिसका जन्म वर्ष 1771 व मृत्यु 1827 में हुई, जबकि ताजमहल का कथित निर्माण 1632 में हुआ।

आगरा गजेटियर और बुरहानपुर गजेटियर में मुमताज महल की मृत्यु के वर्ष में अंतर है।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सभी का विश्लेषण करने पर यह साबित होता है कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पहले का है मूल रूप से यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है जिसे तेजो महालय कहते थे।

वाद में श्री भगवान श्री तेजोमहादेव, योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी है। सचिव संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, महानिदेशक ASI, अधीक्षक ASI आगरा सर्किल, महानिदेशक यूपी टूरिज़्म प्रतिवादी है।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 1 जनवरी 2024 को यह केस फाइल किया था, जिसमें माननीय न्यायालय ने धारा 80(1) सिविल प्रकिया संहिता की कार्यवाही पूरी करने को कहा था जिसकी समय सीमा 2 माह की होती है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने सभी विपक्षीगणों को धारा 80 (1) सिविल प्रक्रिया संहिता के अधीन नोटिस भेज दिया था, जिसकी 2 माह की समयसीमा की अवधि भी गुज़र चुकी है और आज यह वाद दायर किया है। सुनवाई माननीय न्यायाधीश शिखा सिन्हा की कोर्ट सिविल जज जूनियर डिवीजन 6 में हुई। सुनवाई के दौरान वादी व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, अधिवक्ता अभिनव कुलश्रेष्ठ, अधिवक्ता अनुराग शर्मा व हर्ष कुमार शर्मा उपस्थित रहे।