…यही कारण है कि अब पार्टी के अध्यक्ष को “पार्टी सुप्रीमो” कहने की परंपरा चल पड़ी है
सन् 1985 में 52वें संविधान संशोधन ने राजनीतिक दलों के मुखिया को अपने दल के अंदर सर्वशक्तिमान बना डाला जिसने पार्टी सुप्रीमो की अवधारणा को जन्म दिया। “आया राम, गया राम” की घटनाएं न हों, इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने 52वां संविधान संशोधन लागू किया। तब वे न केवल प्रधानमंत्री थे […]
Continue Reading