तीन: बचपन की गलियों से गुजरती एक किताब

अमित श्रीवास्तव की ‘तीन’ महज़ एक किताब नहीं, बल्कि बीते समय का एक दरवाज़ा है। यह वह दरवाज़ा है, जिसे खोलते ही पाठक कस्बाई जीवन की गलियों में लौट जाते हैं। वह दौर जब मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन दोस्तों के साथ खेलना था, जब घर की रसोई की खुशबू ही सबसे बड़ी दावत होती […]

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हिमालय के रहस्यमयी खोजी की 200वीं पुण्यतिथि: विलियम मूरक्रॉफ्ट की अनसुलझी धरोहर पर महत्वपूर्ण संगोष्ठी

हिमालय की गहराइयों और इतिहास के रहस्यों से जुड़े ब्रिटिश खोजी विलियम मूरक्रॉफ्ट की 200वीं पुण्यतिथि पर पहाड़ संस्था ने एक विशेष ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की। कार्यक्रम में इतिहास, संस्कृति और दस्तावेजों से जुड़े अनुत्तरित प्रश्नों पर विद्वानों ने गहन विमर्श किया। पहाड़ संस्था का ऑनलाइन आयोजन नैनीताल स्थित पहाड़ संस्था (People’s Association for Himalayan […]

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आर्टिकल 370, बॉलीवुड में अब मुख्य भूमिका में महिलाओं का वर्चस्व..

फिल्म आर्टिकल 370 के ऊपर बहुत कुछ लिखा और बोला गया, इसे प्रोपेगेंडा फिल्म कहा जा रहा है। हाल ही के समय में विवादों में रहने वाली कई फिल्मों को हमने हिट होते हुए देखा है और आर्टिकल 370 भी इससे अलग नहीं रही, फ़िल्म अब तक सत्तर से अस्सी करोड़ रुपए के आसपास कमाई […]

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विश्व पुस्तक मेला में पहले की तुलना में बढ़ी किताबों की बिक्री

● नई रुचियों के साथ किताबों की खरीदारी कर रहे हैं हिन्दी के पाठक ● विश्व पुस्तक मेला के अंतिम दिन कृष्णा सोबती के उपन्यास का लोकार्पण नई दिल्ली. नौ दिन तक चले विश्व पुस्तक मेला का रविवार को समापन हुआ। आखिरी दिन भारी संख्या में लोग प्रगति मैदान पहुँचे। राजकमल प्रकाशन समूह के जलसाघर […]

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हिंदी मीडिया ने अभी अपनी क्षमता को पहचाना नहीं : मृणाल पांडे

नई दिल्ली. विश्व पुस्तक मेला के चौथे दिन मंगलवार को राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल जलसाघर में छह सत्रों में कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान शहादत के कहानी संग्रह ‘कर्फ़्यू की रात’; मृणाल पांडे की किताब ‘हिन्दी पत्रकारिता : एक यात्रा’ और सुजाता पारमिता की किताब ‘मानसे की जात’ का लोकार्पण हुआ। वहीं हेमन्त देवलेकर […]

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उत्तराखंड आंखों देखी: बंजर जमीन और नेपाली मजदूरों का पहाड़

पहाड़ खाली हो रहे हैं तो हम हमेशा से सुनते आए हैं पर पहाड़ों में बंजर हो चुके खेतों को देखना और खंडहर बन चुके छोड़े हुए मकानों को देखना वाकई में दर्द भरा है। उत्तराखंड के अधिकतर गांव अब कुछ दिनों के लिए होने वाली सामूहिक पूजा में ही आबाद होते हैं, सालों पहले […]

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एक प्रेम कहानी जो याद दिलाती है कि आतंकवाद और दंगों का कोई धर्म नही होता

अंग्रेज़ी में एक कहावत है ‘ डोंट जज ए बुक बाय इट्स कवर ‘ यह कहावत शायद ‘सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी’ के लिए लिखी गई होगी. बाहर से देखने पर यह किताब कभी इतनी गम्भीर नही लगी पर जब इसे पढ़ना शुरू किया, देश के आज के हालात मेरी नज़रों के सामने घूमने लगे. […]

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प्रेस फ्रीडम: मुद्दों को प्राथमिकता देने से बदलेगी पत्रकारिता की तस्वीर

भारत में प्रेस की आजादी बहुत गम्भीर स्थिति में पहुंच गई है. अब देश के अन्य हिस्सों में दिल्ली से ही बता दिया जाता है कि क्या लिखना और बोलना है. अभी देश की राजनीति और जनता एक जैसे विचार रखती है, जब हमारे देश में धर्म जाति को छोड़ मुद्दों को प्राथमिकता मिलने लगेगी […]

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पुस्तकालय गांव: प्रकृति और किताबों का यह मेल देश की तस्वीर बदल देगा

‘गांव घर फाउंडेशन’ ने पर्यटन और किताबों का अद्भुत मेल करने की ठानी और मणिगुह को पुस्तकालय गांव बना दिया। उनके द्वारा किताबों को मंदिर से जोड़ दिया गया है ताकि लोग किताबों को धर्म से जोड़ने लगे। उत्तराखंड की सुंदर और शांत पहाड़ियों को यदि इस तरह कला, पुस्तकालय से जोड़ दिया जाए तो […]

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युवा पत्रकार हिमांशु जोशी को मिलेगा उमेश डोभाल स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार

उमेश डोभाल स्मृति समारोह इस बार आठ और नौ अप्रैल को चमियाला (टिहरी) में होगा। इस वर्ष प्रतिष्ठित उमेश डोभाल स्मृति सम्मान जनसंघर्षों के माध्यम से लोक कल्याण के लिए समर्पित जोशीमठ बचाओ अभियान के संयोजक अतुल सती को दिया जाएगा जबकि उमेश डोभाल स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार टनकपुर के हिमांशु जोशी को मिलेगा। हिमांशु जोशी […]

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