तीन: बचपन की गलियों से गुजरती एक किताब
अमित श्रीवास्तव की ‘तीन’ महज़ एक किताब नहीं, बल्कि बीते समय का एक दरवाज़ा है। यह वह दरवाज़ा है, जिसे खोलते ही पाठक कस्बाई जीवन की गलियों में लौट जाते हैं। वह दौर जब मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन दोस्तों के साथ खेलना था, जब घर की रसोई की खुशबू ही सबसे बड़ी दावत होती […]
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