आत्ममंथन का अवसर है स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्र शब्द का सीधा अर्थ है ‘अपना तंत्र ‘। राजनीतिक संदर्भ में स्वतंत्रता समाज के अपने बनाए हुए तंत्र का अर्थ व्यक्त करती है। तंत्र से आशय किसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निर्धारित किए गए व्यवस्थापन से है। परतंत्र भारत में शिक्षा, सुरक्षा, न्याय, चिकित्सा उद्योग, व्यवसाय आदि व्यवस्थाएं इस्लामिक आक्रांताओं और अंग्रेजों की अपनी […]

Continue Reading

अराजक आपातकाल की ओर बढ़ता देश !

विदेशी शक्तियों की दासता से मुक्त हुए पिचहत्तर वर्ष बीत रहे हैं। देश आजादी का अमृत-महोत्सव मनाने में मस्त है और देश विरोधी ताकतें आजादी के नाम पर उन्माद, आगजनी, भड़काऊ बयानबाजी, हिंसा और तोड़फोड़ में व्यस्त हैं। आम नागरिक डरा सहमा है और अपराधी तत्व निरंकुश हो रहे हैं। आंदोलनों और विरोध-प्रदर्शनों के नाम […]

Continue Reading

कट्टरता के कैंसर को उजागर करती ‘द कश्मीर फाइल्स’

निर्माता–निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और उनकी पत्नी पल्लवी जोशी, अभिनेता अनुपम खेर आदि के सम्मिलित प्रयास से निर्मित बहुचर्चित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ लीक से हटकर बनी है। इस कलाकृति में समाज को उसकी वास्तविक स्थिति से अवगत कराने और समय रहते सचेत होने का संदेश है। जो सामाजिक चिकित्सा–विज्ञानी, निर्देशक–कलाकार, राजनेता आदि समाज से उसके […]

Continue Reading

हिंदू देह है और हिंदुत्व उसकी आत्मा

आजकल हिंदू और हिंदुत्व में अंतर की चर्चा जोरों पर है। पिछले दिनों एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता ने राजस्थान की एक सभा में हिंदू और हिंदुत्व को लेकर जो ज्ञान दिया है उसे सुनकर बड़े-बड़े विद्वान और भाषाविद् भी आश्चर्यचकित हैं क्योंकि इससे पहले इन शब्दों की ऐसी ज्ञानगर्भित व्याख्या कभी पढ़ने-सुनने […]

Continue Reading

भ्रामक है हिन्दुत्व आतंक का जुमला….

कट्टरपंथी तालिबानी ताकतों की जीत पर भारतीय कट्टरपंथियों की प्रसन्नता जहां भारत में आने वाले भावी संकटों का संकेत देती है वहां कम्युनिस्ट विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाली स्वरा भास्कर जैसी हिंदुत्व विरोधी शक्तियों के भ्रामक बयान भी चिंता उत्पन्न करते हैं। स्वरा ने ट्वीट करके लिखा है– “हम हिंदुत्व आतंक के साथ ठीक नहीं […]

Continue Reading

जंग जारी है… पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के वंशज परस्पर संघर्ष कर रहे हैं

पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के वंशज परस्पर संघर्ष कर रहे हैं। हिंसा, हत्या और लूट का बाजार गर्म है। महमूद गजनबी तथा मोहम्मद गोरी के वंशधर मुस्कुरा रहे हैं, माल खा रहे हैं और धीरे-धीरे अपनी सैन्य-शक्ति (वोटबैंक) का संख्या बल बढ़ाते हुए भारतवर्ष की समस्त सनातन-परंपराओं को निर्मूल करने की दिशा में निरंतर सक्रिय […]

Continue Reading

महाशिवरात्रि: शिवत्व की प्रतिष्ठा में ही विश्व मानव का कल्याण संभव

समाज में शिव की प्रतिष्ठा और पूजा-परंपरा देवता के रूप में प्राचीन काल से ही प्रचलित है किंतु हमारे शास्त्रों में वर्णित शिव का स्वरूप उनके देवत्व की पृष्ठभूमि में मनुष्य कल्याण के अनेक नए प्रतीकार्थ भी प्रस्तुत करता है। शिव का एक अर्थ कल्याण भी है। इसलिए शिव कल्याण के प्रतीक हैं और शिव […]

Continue Reading

बिहार चुनाव: देश की राजनीति राजनेताओं के वोट कबाड़ने वाले हथकंडों से उबरने का कर रही प्रयत्न

बिहार चुनाव के परिणामों ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि देश की राजनीति राजनेताओं के वोट कबाड़ने वाले हथकंडों से उबरने का प्रयत्न कर रही है। यादव-मुस्लिम समीकरण, दलित-सवर्ण आकलन, दलों के गठजोड़ आदि फार्मूले भविष्य में सफल होने वाले नहीं हैं। जनता जनार्दन की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं की अनदेखी करने वालों को […]

Continue Reading