राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग पर फरवरी में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि फिलहाल संविधान पीठ में सुनवाई जारी है।

भाजपा नेता स्वामी ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने इस मामले में जवाब देने की प्रतिबद्धता जताई है और कैबिनेट सचिव को इस पर समन जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एसजी तुषार मेहता ने 12 दिसंबर तक जवाबी एफिडेविट फाइल करने की बात कही थी। लेकिन जवाब अब तक दाखिल नहीं किया गया है। पहले कहा गया था कि सरकार का जवाब तैयार है।

स्वामी की इन दलीलों पर मेहता ने कहा कि इस मांग पर चर्चा जारी है और सरकार विचार कर रही है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि मामले में फरवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई की जाए।

राम सेतु, तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से पांबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट से दूर मन्नार द्वीप के बीच चूने के पत्थरों की एक श्रृंखला है। इसे आदम का पुल भी कहा जाता है।

भाजपा नेता ने कहा था कि वह मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार ने राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने उनकी मांग पर विचार करने के लिए 2017 में बैठक बुलाई थी लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।

भाजपा नेता ने इससे पहले की यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में विवादास्पद सेतुसमुद्रम पोत मार्ग परियोजना के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठाया था।

मामला शीर्ष अदालत में पहुंचा, जिसने 2007 में रामसेतु पर परियोजना के लिए काम रोक दिया। तब केंद्र ने कहा था कि उसने परियोजना के ‘‘सामाजिक-आर्थिक नुकसान’’ पर विचार किया और वह राम सेतु को क्षति पहुंचाए बिना पोत मार्ग परियोजना का दूसरा मार्ग खोजना चाहती है। अदालत ने तब सरकार को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

Compiled: up18 News