आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फ़ीसदी आरक्षण जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सोमवार को ईडब्लूएस कोटे के तहत आरक्षण को बरकरार रखा है.
चीफ़ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली पाँच जजों की बेंच ने बहुमत से ईडब्लूएस कोटे के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और कहा कि 103वां संविधान संशोधन वैध है.
सबसे पहले जस्टिस दिनेश महेश्वरी ने अपना फ़ैसला सुनाया और ये भी कहा कि ईडब्लूएस आरक्षण से अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को बाहर रखना भी संवैधानिक तौर पर वैध है.
जस्टिस महेश्वरी ने कहा, “आरक्षण केवल आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए ही नहीं बल्कि किसी भी वंचित वर्ग के हित के लिए एक सकारात्मक उपाय है. इसलिए केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान का उल्लंघन नहीं करता है. एससी/एसटी और ओबीसी को ईडब्लूएस कोटे से बाहर रखना भी संवैधानिक तौर पर सही है.
पचास फ़ीसदी तय आरक्षण सीमा के अतिरिक्त ईडब्लूएस आरक्षण संवैधानिक है क्योंकि इसकी”
पीठ में शामिल जस्टिस रवींद्र भट ने ईडब्लूएस कोटे से असहमति जताई.
Compiled: up18 News
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