दरअसल, विधानसभा चुनावों से पहले राज्यों में मुफ्त चीजें बांटने का आरोप लगाकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की चुनावी लाभ वाली मुफ्त योजनाओं से लोगों पर भी बोझ बढ़ता है। याचिका के जरिए विधानसभा चुनाव से पहले मुफ्त चीजें बांटने के वादों पर रोक लगाने की मांग की गई है।
बेंच ने अपनाया सख्त रुख
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त रुख अपनाया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, मध्य प्रदेश, राजस्थान और भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किया गया। सभी को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है।
नकदी बांटने से ज्यादा क्रूर कुछ नहीं
विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को मुफ्त सुविधाएं बांटने का आरोप लगाने वाली इस याचिका को भट्टूलाल जैन द्वारा दायर किया गया है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा क्रूर कुछ नहीं हो सकता। ये हर बार हो रहा है और इसका बोझ आखिर में करदाताओं पर ही पड़ता है’। याचिका पर सुनवाई के बाद बेंच ने आदेश दिया कि भट्टूलाल जैन की याचिका को इस मुद्दे पर लंबित अन्य याचिका के साथ टैग किया जाए।
Compiled: up18 News