सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS को तमिलनाडु राज्य में अपनी रैलियों को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार करने की अनुमति दे दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए आदेश दिया, जिसने आरएसएस को पुनर्निर्धारित तारीखों पर तमिलनाडु में अपना रूट मार्च करने की अनुमति दी थी।
तमिलनाडु सरकार ने दी थी ये दलील
तमिलनाडु सरकार ने अपनी अपील में दावा किया था कि हाल की अफवाहों से राज्य में हिंदी भाषी श्रमिकों में दहशत फैल गई है। तमिलनाडु राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि नई एसएलपी को आज सूचीबद्ध नहीं किया गया है और मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया ताकि दोनों याचिकाओं पर एक साथ विचार किया जा सके।
RSS को दी तमिलनाडु में रैलियां करने की अनुमति
इससे पहले 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य द्वारा दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसमें मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें आरएसएस को पुनर्निर्धारित तारीखों पर तमिलनाडु में अपना रूट मार्च निकालने की अनुमति दी गई थी।
आरएसएस के वकील ने स्थगन का किया विरोध
आरएसएस की ओर से पेश वकील ने स्थगन के अनुरोध का विरोध किया कि राज्य ने सुनवाई की अंतिम तिथि पर आज वैकल्पिक मार्गों पर प्रस्ताव देने पर सहमति व्यक्त की थी। रोहतगी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पहले एसएलपी दायर करने और फिर प्रस्ताव देने का फैसला किया है। आरएसएस के वकील ने इस व्यवहार को ‘अदालत के लिए अनुचित’ करार दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु राज्य एक अलग एसएलपी दायर कर मुद्दों को उठा रहा है। वे इसे पूर्ण अधिकार नहीं दे सकते।
प्रवासियों पर हमले का फर्जी वीडियो का जिक्र
रोहतगी ने इसके बाद उत्तर भारतीय प्रवासियों के खिलाफ हमलों के फर्जी वीडियो को राज्य में नई गड़बड़ी बताया। न्यायमूर्ति रामासबुरमणियन ने पाया कि इस मुद्दे को 10 दिन पहले सुलझा लिया गया था। वकील ने आगे कहा कि यह मामला राज्य से संबंधित है और सर्वोच्च जनहित का है और अदालत को अपनी आंखें खुली रखने की जरूरत है। वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि चूंकि राज्य एक आतंकवादी संगठन (पीएफआई) को नियंत्रित करने में असमर्थ है, इसलिए वे आरएसएस के रूट मार्च पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।
Compiled: up18 News
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