महिलाओं के यूटेरस में होने वाले असमान्य विकास को हम फाइब्रॉइड्स या रसौली कहते हैं। इस असमान्य विकास की वजह से यूटेराइन कैंसर होने का खतरा नहीं होता लेकिन कुछ मामलों में ये ट्यूमर का रूप ले सकते हैं, जिसकी वजह से पीरियड्स के समय बहुत दर्द रहेगा और सामान्य से ब्लीडिंग हो सकती है।
कई बार रसौली की वजह से कोई परेशानी नहीं होती और कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देते। इस स्थिति में डॉक्टर आपकी स्थिति देखते हुए इलाज या देख रेख की सलाह देंगे।
गर्भाशय या यूटेराइन में नॉन कैंसर फाइब्रॉएड से मतलब नॉनकैंसर ट्यूमर का पाया जाना होता है। ये ट्यूमर यूट्रस मसल्स के टिशू में पाए जाते हैं। इन ट्यूमर को मायोमाज या लियोमायोमाज ( myomas or leiomyomas) भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे यूट्रस की रसौली के नाम से भी जानते हैं। जब यूट्रस की वॉल में सिंगल सेल की ग्रोथ कई बार होती है तो नॉनकैंसर ट्यूमर का डेवलपमेंट हो जाता है।
यूट्रस के लोअर पार्ट में फाइब्रॉएड का साइज चेंज होता रहता है। महिलाओं में एक से अधिक फाइब्रॉएड भी हो सकते हैं। वहीं नॉन कैंसर ट्यूमर होने की भी संभावना रहती है। फाइब्रॉएड की वजह से महिलाओं में कुछ लक्षण दिख सकते हैं। हालांकि ये बात यूट्रस में उपस्थित उनकी संख्या पर निर्भर करती है।
फाइब्रॉइड्स गर्भाशय में किस स्थान पर है इसके अनुसार फाइब्रॉइड्स को पांच भागों में बांटा गया है।
इंट्राम्युरल फाइब्रॉएड( Intramural Fibroid)
इस तरह के फाइब्रॉइड्स का आकार जल्दी बढ़ता है, जिससे गर्भाशय का आकार भी बड़ा दिखाई देने लगता है। यह गर्भाशय की दीवार पर होता है, इसमें दर्द और ब्लीडिंग होती है।
सबसेरोसल फाइब्रॉएड (subserosal fibroid)
ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय के बाहर पाई जाने वाली दीवार पर पाई जाती है। यह आंत, रीढ़ की हड्डी और ब्लैडर पर दबाव डालता है। इसके कारण पेल्विस में तेज दर्द होता है।
सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (submucosal fibroid )
ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय (Uterus) में मांसपेशियों के बीच के हिस्से में पाई जाती है, जिसके कारण पीरियड्स में अधिक दर्द और ब्लीडिंग होती है। कई केस में तो महिला को गर्भधारण करने में भी परेशानी आती है।
सर्वाइकल फाइब्रॉएड (Cervical fibroid )
ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय की गर्दन पर पाए जाते हैं।
इंट्रालिगमेंटस फाइब्रॉएड
ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय (Uterus) के साथ जुड़े टिश्यू में हो जाती है, इसके होने से पीरियड्स अनियमित हो जाते है। इससे जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
सबसे ज्यादा पाए जाने वाले रसौली के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं :
पीरियड्स के समय बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
मासिक धर्म का एक से ज्यादा हफ्तों के लिए रहना।
बार-बार पेशाब लगना।
कब्ज (Constipation) की समस्या होना।
पीठ में दर्द होना।
पैरो में ऐठन या दर्द का एहसास होना।
यूटेराइन फाइब्रॉइड्स की वजह से शुरुआत में कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी लेकिन समय बीतने पर असहजता और एनीमिया (Anaemia) की परेशानी आ सकती है।
इसके अलावा समय से पहले डिलीवरी, गर्भधारण करने में परेशानी होना या फिर फीटस के विकास में रूकावट आने जैसी समस्याए भी आ सकती हैं।
– एजेंसी