एक उम्र के बाद गर्दन के आसपास पर चर्बी जमने लगती है, डबल चिन निकलने लगती है और गर्तन में झुर्रियां भी पड़ने लगती है। उम्र के बढ़ने से गर्दन की चमड़ी ढीली पड़ जाती है, तो मोटापे से चरबी बढ़ जाती है। दोनों ही स्थिति में जहां बुढ़ापा झलकने लगता है वहीं दूसरी ओर चेहरे की सुंदरता नष्ट होने लगती है। इस सब से निजात पाने के लिए यहां प्रस्तुत हैं, कुछ योगा टिप्स-
करें ब्रह्म मुद्रा- योग में इसका स्थान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। संध्या वंदन करते वक्त उक्त मुद्रासन को किया जाता रहा है, क्योंकि इस आसन में गर्दन को चारों दिशा में घुमाया जाता है।
कैसे करें- पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन में बैठकर कमर तथा गर्दन को सीधा रखते हुए गर्दन को धीरे-धीरे दाईं ओर ले जाते हैं। कुछ सेकंड दाईं ओर रुकते हैं, उसके बाद गर्दन को धीरे-धीरे बाईं ओर ले जाते हैं। कुछ सेकंड तक बाईं ओर रुककर फिर दाईं ओर ले जाते हैं, फिर वापस आने के बाद गर्दन को ऊपर की ओर ले जाते हैं। उसके बाद नीचे की तरफ ले जाते हैं। फिर गर्दन को क्लॉकवाइज और एंटीक्लॉकवाइज घुमाएं। इस तरह यह एक चक्र पूरा हुआ। अपनी सुविधानुसार इसे 4 से 5 चक्रों में कर सकते हैं।
स्टेप 1- दंडासन या वज्रासन में बैठकर गर्दन को पहले दाँईं ओर घुमाकर ठोड़ी को दाएँ कंधे की सीध में लाने का प्रयास करें। इसी तरह गर्दन को घुमाकर बाईं ओर ले जाकर बाएँ कंधे की सीध में रखें।
स्टेप 2- इसके पश्चात गर्दन को सामने लाकर आगे की ओर झुकाते हुए ठोड़ी को छाती से लगाइए फिर धीरे-धीरे पीछे ऊपर उठाकर पीछे की ओर यथाशक्ति झुकाएँ। अन्त में गर्दन को दोनों दिशाओं में गोलाकर घुमाएँ। क्लाकवाइज और एंटी क्लाकवाइज।
स्टेप 3- दाएँ ओर की हथेली को दाईं ओर कान के ऊपर सिर पर रखकर हाथ से सिर को दबाएँ तथा सिर से हाथ की ओर दबाव डालें। इस प्रकार हाथ से सिर को तथा सिर से हाथ को एक दूसरे के विरुद्ध दबाने से गर्दन में एक कम्पन होता है। इस प्रकार 4-5 बार दबाव डालकर बाईं ओर से इस क्रिया को करना चाहिए।
स्टेप 4- अन्त में दोनों हाथों की अँगुलियों को एक दूसरे में डालते हुए हाथों से सिर को ओर सिर से हाथों को दबाए। ऐसा करते हुए सिर तथा गर्दन सीधी रहनी चाहिए। विरुद्ध दबाव से मात्र एक कम्पन होगा जो कि गर्दन के लिए तथा वहाँ पर रक्त संचार को सुचारु करने के लिए आवश्यक है।
सावधानियां– जिन्हें सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस या थॉइराइड की समस्या है वे ठोड़ी को ऊपर की ओर दबाएं। गर्दन को नीचे की ओर ले जाते समय कंधे न झुकाएं। कमर, गर्दन और कंधे सीधे रखें। गर्दन या गले में कोई गंभीर रोग हो तो योग चिकित्सक की सलाह से ही यह मुद्रासन करें।
इसके लाभ- यह एक्सरसाइज़ पूरे हाथ, सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, फ्रोजन सोल्डर, सिरदर्द, गर्दन का दर्द और रीढ़ के दर्द को मिटाने में सक्षम है। जिन लोगों को थॉइराइड ग्लांट्स की शिकायत है उनके लिए यह आसन लाभदायक है। इससे गर्दन की माँसपेशियाँ स्ट्रांग और फ्लेक्सिबल बनी रहती है। इससे गर्दन सुंदर और सुराहीदार बनी रहेगी। इससे गर्दन की मांसपेशियां लचीली तथा मजबूत होती हैं। आलस्य भी कम होता जाता है तथा बदलते मौसम के सर्दी-जुकाम और खांसी से छुटकारा भी मिलता है।
– एजेंसी
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