…तो योगी जी का आतंकराज, बीजेपी का यूपी से छिनेगा ताज..?

Cover Story

-अमित मौर्या-

विकास की बात की जगह मात्र ठोक देंगे, बुलडोजर चला देंगे, गर्मी ठंडा कर देंगे जैसी टपोरी जज्बात

सीएम रहते हुये सबके लिये “समभाव” का अभाव दिखा योगी आदित्यनाथ में

अपराध कम नही हुआ बल्कि महिला हिंसा, दलित हिंसा के साथ एक धर्म के लोगों के प्रति बढ़ा घृणाभाव

अमित मौर्या
अमित मौर्या

वाराणसी। यूपी की चुनावी फ़िजा दो चरण के मतदान होते-होते बीजेपी के लिये नामाकूल दिखाई पड़ रही है। तमाम प्रोपोगंडाओं और मीडिया मैनजेमेंट के बाद भी बीजेपी बेबस बदहवास नजर आ रही है। उसके सिपहसालारों रणनीतिकारों के तोते उड़े हुये हैं। उनका हर दांव बेकार जा रहा है। उसके समर्थक भी मायूस हो किसी चमत्कारी मुकदर की आस में बैठे हैं। यूपी की जनता 2017 की तरह बीजेपी से प्यार जताने की बजाय रार ठान चुकी है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो अंतिम चरण का मतदान आते-आते सत्ताधारी दल बीजेपी के जीत के आसार समाप्त हो चुके होंगे।

इसके कारणों पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि इसके जड़ में मंदी, महंगाई, बेरोजगारी, के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रदेश के विकास की बात की जगह उनके मौखिक आतंकराज का है जो उन्होंने गाहे बगाहे खूब फैलाया। और हर बात पर यह जताने का प्रयास किया कि वह सबके सीएम नहीं, बल्कि किसी “खास” वर्ग जात के हों! वज़ह यह भी नजर आई कि वह किसी अल्प वर्ग को टार्गेट करके दूसरे बहुतायत वर्ग को अपने पक्ष में करने को आतुर दिखें। जिसका असर यह रहा कि कभी बीजेपी के लिये एकजुट होकर सत्ता दिलाने वाली जात जमात भी किनारा कस ली। क्योंकि सबको यह शाब्दिक आतंक और भेदभाव पसंद नहीं आया।

वहीं बीजेपी योगीराज को सुपर और अपराध मुक्त बताने के लिये लगातार हवा हवाई दावे करती रही ताकि जनता को यह दिखाया जा सके कि प्रदेश अपराध मुक्त और विकास युक्त हो गया है। जबकि एनसीआरबी के आधिकारिक आकड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती रही । 2018 में 5,85,157 अपराध राज्य में दर्ज किए गए थे। 2019 में ये संख्या बढ़ कर 6,28,578 और 2020 में 6,57,925 हो गयी। राज्य में वर्ष 2020 में हिंसक अपराधों की संख्या 51,983 बताई गयी (आंकड़े साभार एक पोर्टल से)।

जिन्हें यह भरम है की योगी सरकार के ठोक देंगे बुलडोज़र चला देंगे वाली नीति प्रदेश में कारगर सिद्ध हुई उन्हें यह जान लेना चाहिये कि देश में महिलाओं के प्रति अपराध के सबसे ज़्यादा केस यूपी के योगिराज में 2020 में दर्ज हुए। प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध में भी लगातार वृद्धि हुई है। महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में यूपी देश में टॉप पर है। वहीं अल्पसंख्यकों के प्रति भी योगी सरकार में घृणा भेदभाव का बोलबाल रहा। उन पर गौहत्या का आरोप लगाकर सलाखों के पीछे धकेल देना आम रहा।

गौ तस्करी के हाईकोर्ट में भेजे कई मामले मनगढ़ंत फर्जी निकले। वहीं नागरिकता आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर देश द्रोह और दूसरे मुकदमे थोपे गए।

योगी के आतंक राज का एक नमूना यह भी रहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को झटका देते हुये योगी सरकार की तरफ से दर्ज कराए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत 120 मामलों में से 94 मामलों को कोर्ट ने रद्द कर दिया था। कोर्ट ने 120 मामलों की सुनवाई के मामलों में यह फैसला दिया था। जनवरी 2018 से  लेकर दिसबंर 2020 तक एनएसए के तहत 120 मामले दर्ज कराए गए थे। उस वक्त कोर्ट ने एनएसए के दुरुपयोग पर भी सवाल उठाया था।

योगी सरकार में पुलिस की बर्बरता मानवाधिकार हनन की कहानियां भी खूब चर्चा में रहीं। दरअसल पुलिस को बेलगाम करने में मुख्यमंत्री योगीजी के बयानों का बहुत रोल रहा। सोचिये जिस प्रदेश का मुख्यमंत्री जब खुलेआम अपने प्रतिद्वंदियों को ‘गर्मी ठंडा कर देंगे’ जैसी धमकी दे सकता है। तो उस प्रदेश की पुलिस क्यों न मनमर्जी मनबढ़ों की तरह काम करे? आज अगर बीजेपी यूपी के चुनावी रसातल में है तो उसका कारण योगीजी की अयोग्य सोच और शाब्दिक आतंकराज है। जिसे जनता नकारती दिख रही है। सम्भव है यूपी जैसे बड़े राज्य से बीजेपी के सिर से सत्ता का ताज छीन जाये, भले ही पोषित मीडिया भक्तजन आयेंगे तो योगी जी की रट लगाये।

-अमित मौर्या-
सभार- अचूक संघर्ष समाचार पत्र


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