उत्तराखंड में जारी कार्यक्रम ‘अमर उजाला संवाद’ के दौरान प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने भी गायकी को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम की शुरूआत उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्वलित करके की। इसमें देश की चर्चित हस्तियां अपनी बात रख रही हैं।
इसी क्रम में प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने बताया कि हम घर छोड़ कर भाग गए थे। फिर ऋषिकेश आए तो वहां पंडिताई सीखने लगे। वहां पर गाते थे तो काफी यूनिक था लेकिन हमसे सब पूछते थे कि क्या गाते हो। मेरे गाने हिट हुए तो लोगों ने कहा कि वह सूफी होता है। ऐसे में जनता परमात्मा होती है।
संगीत में आप जब तक कामयाब नहीं होते, तब तक इज्जत नहीं मिलती: कैलाश
कैलाश खेर ने अपनी बात की शुरुआत ‘टूटा टूटा एक परिंदा’ गाना गाकर की। उन्होंने कहा, मेरा जन्म दिल्ली में हुआ। अमर उजाला के साथ हमारी जड़ें मेरठ से ही हैं। सब जिंदगी जीते हैं, हम जुनून जीते हैं। हमारे जैसे क्षेत्र में जजमेंट देने का सबके पास हुनर है। हम एक जिद हैं, हम एक जुनून हैं। मेरा मार्ग कंटक था, मेरे लिए बड़ी कठिनाई थी। जीवन में जब आप सुबह से शाम तक कठिनताओं का विष पीना सीख लें, तो जो भी गाएं वह अमृत है। जब तक आप कामयाब नहीं होते तो इज्जत नहीं मिलती। हमारे क्षेत्र में कामयाब लोग कम ही होते। सबकी कामयाबी की अपनी जर्नी होती है।
Compiled: up18 News
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