सांसों की तकलीफ से जीवन को खतरा नहीं, मगर बरतें एहत‍ियात

Health

ऑक्सीजन के स्तर में अपेक्षित सुधार

जिन्हें कोविड-19 का संक्रमण हुआ था, उनमें 90 प्रतिशत ठीक हो गए थे। संक्रमित लोगों में लगभग 10 प्रतिशत ही ऐसे थे, जिनके ऑक्सीजन के स्तर में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया या ऑक्सीजन स्तर काफी कम रह गया। इससे उन्हें अन्य तरह की भी दिक्कतें आईं। ऐसी दशा में अगर पहले सांस संबंधित परेशानियां हैं, तो संक्रमण होने पर फेफड़े के खराब होने का अंदेशा अधिक रहता है। सीएमसी वेल्लोर के एक नए अध्ययन के अनुसार, भारतीयों के फेफड़े में यूरोपीय देशों के मुकाबले अधिक फाइब्रोसिस होता है। इसके पीछे आनुवांशिक कारण जिम्मेदार होते हैं।

फेफड़ों की क्षमता प्रभावित होने के लक्षण

अगर किसी को सांस संबंधी कोई बीमारी हो रही है या फेफड़े की क्षमता प्रभावित हो रही है, तो उससे चलने-फिरने में परेशानी होने लगती है। ऐसी दशा में ऑक्सीजन का स्तर कम बना रहता है। बार-बार खांसी आने की समस्या भी बनी रहती है। ऐसा महसूस होने पर अच्छे चिकित्सक से जरूर संपर्क करना चाहिए।

क्यों होती है परेशानी

श्वसन संबंधी परेशानी होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि कोविड से फेफड़े की क्षमता कम हो गई है। दूसरा कारण, किसी तरह का कोई संक्रमण भी इसका जिम्मेदार हो सकता है। इससे भी सांस लेने में दिक्कत या ऑक्सीजन की कमी जैसी परेशानी हो सकती है। गौर करने वाली बात है जिन्हें कोविड नहीं हुआ था, अगर उन्हें दिक्कत आ रही है, तो इसके पीछे एकमात्र कारण संक्रमण ही हो सकता है।

अभी स्वाइन फ्लू से बचने की जरूरत

आजकल स्वाइन फ्लू के मामले अधिक देखने में आ रहे हैं। जिन मरीजों की जांच की जा रही है, उनमें 10 में से छह में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिख रहे हैं।

देशभर में कई ऐसे इलाके हैं, जहां प्रदूषण की समस्या लगातार बनी रहती है, इससे भी फेफड़े से जुड़ी तकलीफ बढ़ने की आशंका रहती है।

कोविड, स्वाइन फ्लू और संक्रमण ये तीन ऐसे बड़े कारण हैं, जिससे समस्या बढ़ी, उसे देखते हुए सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

बचाव के जरूरी टिप्स

अगर श्वसन संबंधी परेशानी है, तो भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से पहले मास्क पहनना चाहिए।
फेफड़े को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम-प्राणायाम करना आवश्यक है।
अगर किसी व्यक्ति को संक्रमण हो तो उसके सामने बिना मास्क के नहीं जाना चाहिए।
स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आसपास कोई संक्रमण है, तो अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए।

प्राणायाम सबसे उपयोगी

लंबी-गहरी सांस लेने वाले व्यायाम प्राणायाम करना चाहिए।
अनुलोम-विलोम, कपालभाती आदि का नियमित अभ्यास करना चाहिए।

अपने सोने और जागने का समय नियमित करना अति आवश्यक है। हमेशा ध्यान रखें अच्छी नींद बहुत आवश्यक है।

प्रोटीन के पर्याप्त सेवन के साथ-साथ संतुलित आहार पर ध्यान देना चाहिए।

सही समय पर टीकाकरण जरूर कराना चाहिए।
मौसमी बदलावों के कारण अस्थमा प्रभावित लोगों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं, उन्हें थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है।

आजकल बाजार के खाद्य पदार्थों से गैस्ट्रोएंटराइटिस अधिक होता है। इसलिए बाहर के खुले खाद्य, लंबे समय तक रखे गए कटे फलों आदि के सेवन से बचना चाहिए।

– एजेंसी