इंडोनेशिया में अब शादी से पहले यौन संबंध और विवाहेत्तर संबंध अपराध की श्रेणी में

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नए क़ानून को अधिकांश सांसदों का समर्थन मिला. संसद के एक विशेष सत्र के दौरान सदन के उपाध्यक्ष ने नए क़ानून की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब ये ‘वैध है.

समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार इंडोनेशिया के सामाजिक कार्यकर्ता नए क़ानून का विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि इससे मुस्लिम बहुल देश में नागरिकों की आज़ादी छिन सकती है.

इंडोनेशिया के क़ानून और मानवाधिकार मंत्री यसोना लेओली ने कहा, “हमने सभी ज़रूरी मुद्दों और अलग-अलग विचारों को जगह देने की पूरी कोशिश की है. हालांकि,अब समय आ गया है जह हम दंड संहिता में संशोधनों को स्वीकार करे और औपनिवेशिक काल के क़ानून को पीछे छोड़ दें.”

इंडोनेशिया की नई दंड संहिता में जिस अनुच्छेद पर सबसे अधिक विवाद हो रहा है वह शादी से पहले यौन संबंधों और शादी में रहते हुए किसी अन्य के साथ संबंधों को अपराध बनाता है.

नए आपराधिक क़ानून के आलोचकों को डर है कि इन नियमों का इंडोनेशिया में रहने वाले एलजीबीटीक्यू समुदाय पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा, जहां अभी तक समलैंगिक विवाह को मंज़ूरी नहीं मिली है.

क़ानून मंत्रालय के प्रवक्ता एलबर्ट एरीज़ ने बदलाव का बचाव करते हुए कहा कि इससे शादी जैसी संस्थाओं की रक्षा होगी. उन्होंने कहा कि शादी से पहले और विवाहेत्तर यौन-संबंध बनाने के मामलों की शिकायत जीवनसाथी, माता-पिता या बच्चे कर सकते हैं.

Compiled: up18 News


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