हाल ही में सऊदी अरब का एक वीडियो सामने आया जो काफी परेशान करने वाला था। इस वीडियो में नजर आ रहा था कि कैसे कुछ पुरुषों का समूह लड़कियों और महिलाओं को उनके बालों से पकड़कर खींच रहा है और उन्हें बेदर्दी से पीट रहा है। इस वीडियो में जो लोग नजर आ रहे थे वो सऊदी अरब के सुरक्षा अधिकारी और पुलिस ऑफिसर्स थे जो खाकी यूनिफॉर्म और आम कपड़ों में थे।
वीडियो असिर प्रांत में स्थित खामिस मुशैत के एक अनाथालय का था। इस वीडियो के बाद सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) की तरफ से महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर सवाल उठने लगे हैं। लेकिन अगर कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो सऊदी अरब में इस तरह की जगहों पर महिलाओं और लड़कियों के साथ गलत बर्ताव बहुत ही सामान्य है।
जेल जैसे हालात
मई में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें आयशा अलनिजीबानी का जिक्र था जिसे उसके परिवार ने एक अनाथालय में छोड़ दिया था। 22 साल की आयशा ने रियाद की सड़कों पर एक वीडियो बनाया था जिसमें उसने अपनी कहानी बयां की थीं। आयशा ने एक सरकारी अनाथालय में 17 साल बिताए थे। आयशा ने बताया था कि उसे कैद करके रखा गया था। कई तरह के तालों और चेन के साथ उसे बांधा गया था। जब उन्होंने अनाथालय की स्थितियों के बारे में बात की तो उन्हें जेल में डाल दिया गया।
इसके बाद उन पर 10 साल का ट्रैवल बैन लगाकर सड़कों पर छोड़ दिया गया। आयशा के वीडियोज काफी तेजी से वायरल हुए और इसके बाद सऊदी महिलाओं के लिए समर्थन बढ़ गया। विशेषज्ञों का कहना था कि उन्होंने इस तरह से कभी किसी महिला को सऊदी की सड़कों पर अपना केस आगे बढ़ाते हुए नहीं देखा। साथ ही वह इस बात का भी उदाहरण हैं कि किस तरह से यहां के शेल्टर होम्स में रखा जा रहा है।
नरक हैं ये शेल्टर होम्स
सऊदी अरब की एक्टिविस्ट और जर्नलिस्ट खुलुद अल-हरिती ने लंदन के एक ग्रुप ALQST के साथ बात करते हुए कहा कि सऊदी अरब के शेल्टर होम्स जेल बन गए हैं। अगर यहां पर कोई प्रताड़ित है तो आपको और सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि ये जगह नरक हैं और इन्हें शेल्टर होम्स कहना गलत होगा। सऊदी अरब में कई वजहें ऐसी हैं जहां पर सरकारी शेल्टर होम में रहना लड़कियों की मजबूरी बन जाता है।
वो घर में होने वाली मार पिटाई से बचने के लिए यहां पर आती हैं। लेकिन यहां पर कई तरह के अपराध उनसे कराए जाते हैं। वो अपने पुरुष गार्डियंस की बात नहीं मानती हैं और घर से भागकर यहां पर आती हैं। एक बार अंदर आने पर उन्हें तब तक रखा जाता है जब तक कि वो शादी करने के लिए राजी नहीं हो जाती और उनका नया गार्डियन नहीं तय हो जाता।
क्राउन प्रिंस की कोशिशें बेकार
सऊदी अरब के शेल्टर होम्स या अनाथालय अक्सर खबरों में रहते हैं। यहां पर कई बार महिलाएं आत्महत्या कर लेती हैं या फिर बेहतर स्थितियों के लिए तरसती रह जाती हैं। कई बार तो यहां से कुछ लड़कियों ने भागने तक की कोशिश की है और कई बार उनके अपने ही सगे संबंधियों ने उनकी हत्या कर दी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये अनाथालय बिना किसी सुधार के चल रहे हैं। भले ही क्राउन प्रिंस की तरफ से सुधारों को आगे बढ़ाया जा रहा है लेकिन इनकी स्थितियों में कोई सुधार नहीं आया है।
साल 2018 में सऊदी अरब में सबसे ज्यादा महिला कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। कई कार्यकर्ता ऐसी थीं जिन्होंने साल 2014 में किंग अब्दुल्ला के सामने याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि महिलाओं को जब जरूरत हो, शेल्टर होम्स मुहैया कराया जाना चाहिए। इस बात की जांच बंद होनी चाहिए कि वो यहां पर क्यों आना चाहती हैं।
चल रहे हैं कई सरकारी शेल्टर होम्स
सऊदी अरब में कई सरकारी शेल्टर होम्स चल रहे हैं। इनमें दार-ए-रेयाया भी है जहां पर सात साल की लड़की से लेकर 30 साल तक की महिलाएं रह सकती हैं। मानव संसाधन मंत्रालय और सामाजिक विकास मंत्रालय की तरफ से इसे संचालित किया जाता है। यहां पर उन सऊदी लड़कियों को रखा जाता है जो बुरे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्थितियों के चलते यहां आई हैं और जिन्हें अच्छी देखभाल और धार्मिक विश्वास को मजबूत करने की जरूरत होती है। सऊदी अरब में कई लोगों का मानना है कि अगर लड़की अच्छी होगी तो परिवार अच्छा होगा और समाज अच्छा होगा। लेकिन इन शेल्टर होम्स या फिर अनाथालयों की स्थिति कब सुधरेगी कोई नहीं जानता है।
-एजेंसी
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