चीन की इकॉनमी अब तक के सबसे बुरे दौर में, SAOFE ने खोली पोल

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चीन की हालत खराब​

चीन को दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है, लेकिन कोविड के बाद से चीन की हालत खराब है। अब चीन की सरकारी एजेंसी ने ही उसकी खस्ताहालत से पर्दा उठा दिया है। जो चीन अब तक अपनी हालत को छिपा रहा था, अब उसकी हालत की पोल खुल चुकी है।

चीन की स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज ने ताजा आंकड़े जारी किए हैं, जिसने चीन की खराब हालात की पोल दुनिया के सामने खोल दी है। चीन से विदेशी निवेशक भाग रहे हैं। विदेशी कंपनियां अपनी बोरिया बिस्तर समेट रही है। तमाम कोशिशों के बावजूद चीन की विदेशी निवेशक और विदेशी कंपनियों को रोक पाने में फेल हो रहा है। साल 1998 के बाद से चीन का एफडीआई गेज पहली बार निगेटिव में पहुंच गया है।

विदेशी निवेशकों की चीन के बेरुखी​

25 सालों में ये पहली बार है जब चीन का विदेशी निवेश माइनस हो गया है। विदेशी निवेशक चीन से अपना पैसा निकाल रहे हैं। 1998 के बाद पहली बार देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई गेज माइनस में पहुंच गया है। आपको बता दें कि एफडीआई गेज एफडीआई को मापने का पैमाना है।

चीन का डायरेक्ट इनवेस्टमेंट लायबिलिटीज माइनस 11.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है जो पिछले साल समान तिमाही में 14.1 अरब डॉलर था। कभी विदेशी कंपनियों की पहली पसंद कहलाने वाले चीन को अब विदेशी कंपनियों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। चीन का एफडीआई साल के पहले नौ महीने में 8.4 फीसदी तक गिर गया है।

क्यों चीन की हुई ऐसी हालत​

कोविड के बाद से चीन की हालत खराब है। चीन का बैंकिंग सेक्टर, रियल एस्टेट सेक्टर सबकी हालत खराब है। महंगाई इतनी कम हो चुकी है, बावजूद लोगों की खरीदने की क्षमता घट चुकी है। बेरोजगारी दर चरम पर पहुंच चुकी है। बीते महीने चीन में 21.3 फीसदी युवा बेरोगजार हो चुके हैं। चीन में बेरोजगारी के आंकड़े बीते कई सालों में सबसे अधिक हो चुके है।

रियल एस्टटे कंपनियां डूब रही है। रियल एस्टेट कंपनी कंट्री गार्डन के अरबों डॉलर रुपये डूब गई है। चीन की कई देशी-विदेशी कंपनियां डूब गई है। चीन की इकॉनमी की ग्रोथ रेटिंग घटा दी गई है। चीन के राज्यों पर कर्ज बढ़ रहा है। चीन के 31 राज्यों पर 782 लाख करोड़ का कर्ज हो गया है। ऐसे कई कारक हैं, जो चीन की इकॉनमी को खोखला कर रही है।

चीन की खस्ताहाल इकॉनमी के कारण उसकी ग्लोबल रेटिंग गिरी है। चीन की इकॉनमी को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अमेरिका संग तनातनी चल रही है, जिससे विदेशी निवेशक और कंपनियां बुरी तरह घबराई हुई हैं। विदेशी कंपनियां वहां से अपना पैसा निकाल रही हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी Vanguard ने भी चीन से बोरिया बिस्तर समेट लिया है।

भारत के लिए बड़ा मौका

चीन कभी विदेशी निवेशकों की पहली पसंद हुआ करता था, लेकिन अब उसकी हालात खराब है। चीन से विदेशी कंपनियां मुंह मोड़ रही है तो वहीं सही मौके पर भारत ने चौका मारा है। भारत ने विदेशी निवेशकों के लिए नियमों में कई बदलाव किए है। अनूकुल वातावरण तैयार किया है। भारत के सस्ते लेबर, स्किल्ड मैनपावर की बड़ी संख्या, सरकार की ओर से मिल रही मदद, नेटवर्किंग का विस्तार, ट्रांसपोर्टेशन का विशाल नेटवर्क विदेशी कंपनियों को भारत की ओर खींच रहा है। बीते कुछ दिनों में बड़ी कंपनियां जैसे ऐपल, टेस्ला, माइक्रॉन, फॉक्सकॉन जैसी बड़ी कंपनियां भारत में अपने कारोबार को बढ़ा रही है। चीन की खस्ताहाल इकॉनमी भारत के लिए बड़ा मौका बन रहा है।

Compiled: up18 News


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