रूसी विदेश मंत्री ने कहा, भारत और चीन के खराब रिश्‍तों के लिए नाटो जिम्‍मेदार

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रिश्‍ते तनावपूर्ण कर रहा नाटो

लावरोव ने कहा है कि नाटो सिर्फ यूरोपियन देशों तक ही सीमित नहीं है। जून 2022 में नाटो के मैड्रिड सम्‍मेलन में यह घोषणा की गई थी कि मिलिट्री ब्‍लॉक वह वादा है जो पूरे विश्‍व से किया गया है खासतौर पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में। इससे यह साफ है कि नाटो भारत और चीन के बीच रिश्‍ते तनावपूर्ण करने की कोशिशें कर रहा है। उनका युद्धघोष यूरो-अटलांटिक और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा से जुड़ा है। उनकी मानें तो इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र सहयोग कमजोर कर रहा

साल 1990 से ही रूस-नाटो परिषद और ऑर्गनाइजेशन फॉर सिक्‍योरिटी एंड को-ऑपरेशन (OSCE) की अविभाजित सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस शब्‍द का मतलब ही हर देश के लिए समान सुरक्षा है न कि किसी दूसरे देश की कीमत पर खुद की सुरक्षा तय करना है। लावरोव के मुताबिक अब इस पूरे सिद्धांत का ही अलग मतलब निकाल लिया गया है और इसका सीधा मतलब नाटो के हितों से जुड़ गया है। इसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र भी शामिल है। लावरोव की मानें तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र वह ब्‍लॉक है जिसे रूस और चीन के खिलाफ बनाया गया है। इसका मकसद दशकों पुराने तंत्र को बर्बाद करना और देशों के बीच जारी आपसी सहयोग को खत्‍म करना है।

जापान पर भी हमला

उन्‍होंने कहा कि नाटो देश अब अपना मिलिट्री ब्‍लॉक तैयार करने में लगे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है AUKUS जो एशिया में एक अलग ही ब्‍लॉक है जिसमें अमेरिका और यूके के साथ ही ऑस्‍ट्रेलिया भी शामिल है। लावरोव ने नाटो के साथ ही जापान को भी फटकार लगाई है। उनकी मानें तो जापान पर भी AUKUS में शामिल होने का दबाव है। लावरोव ने हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की अमेरिका यात्रा का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि तय है कि जापान का भी सैन्‍यीकरण किया जा रहा है। जापान इसी वजह से अब अपने संविधान में बदलाव कर रहा है।

-Compiled by up18 News