रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है और इस युद्ध के बावजूद भारत को मिलने वाले एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई पर कोई आंच नहीं आएगी।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो साल 2023 के अंत तक भारत को इस सिस्टम की सप्लाई शुरू हो जाएगी। इस एयर डिफेंस सिस्टम को भारतीय वायुसेना के बेड़े में सबसे ताकतवर हथियार करार दिया जा रहा है। इस सिस्टम की डील भारत के लिए इतनी अहम थी कि उसने अमेरिका की तरफ से प्रतिबंधों का भी खतरा मोल ले लिया था।
दिसंबर 2021 में इस सिस्टम की पहली रेजीमेंट भारत आ गई थी। अब इस साल इसकी दूसरी रेजीमेंट और फिर अगले साल के अंत तक बाकी बची रेजीमेंट के भारत आने की संभावना है। सिस्टम को कैसे ऑपरेट करना है, इसके लिए 400 वायुसैनिको को मॉस्को ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था।
दुश्मन का काल
एस-400 ट्रायम्फ एसए ग्रोलर लंबी दूरी का वो मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जिससे दुश्मन का काल कहा जाता है। मॉस्को में जारी आर्मी 2022 इंटरनेशनल मिलिट्री-टेक्निकल फोरम में रूस की सरकारी एजेंसी मिलिट्री-टेक्निकल कॉरपोरेशन में इसके मुखिया दमित्री शुगायेव ने मीडिया को इसके बारे में अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी एजेंसी तय कार्यक्रम के मुताबिक ही होगी।
रूस साल 2023 के अंत तक वायुसेना को एयर डिफेंस सिस्टम की सभी 5 रेजीमेंट की डिलीवरी कर देगा। रूस की आधिकारिक निर्यात एजेंसी रोसोबोरेनएक्सपोर्ट के सीईओ अलेक्जेंडर मिखेईव ने इस बात की जानकारी दी है। साल 2018 में जब रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन भारत की यात्रा पर आए थे तो दोनों देशों के बीच 5.43 बिलियन डॉलर के साथ इस सिस्टम की डील हुई थी। इस डील में भारत को 5 सिस्टम मिलने थे।
पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात
अभी जबकि भारतीय वायुसेना को बस एक ही रेजीमेंट मिली है, इस शक्तिशाली सिस्टम को पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के खिलाफ तैनात किया जा चुका है। इसकी दूसरी रेजीमेंट को पूर्वी मोर्चे पर चीन के खिलाफ तैनात किया जाएगा। हवाई और समुद्री रास्ते से इस सिस्टम के उपकरण रूस से भारत आए थे। ये सिस्टम लो लेवल पर दुश्मन के टारगेट को तो तबाह कर ही सकता है साथ ही हाई लेवल पर भी दुश्मन बच नहीं सकता।
इसके अलावा ये एक साथ कई मिसाइलों का ऐसा घेरा बना लेता है जिसे बचकर टारगेट का निकलना बहुत मुश्किल है। एयर डिफेंस सिस्टम 92N6E इलेक्ट्रॉनिक रडार से लैस है। इसकी वजह से इसे ब्लॉक यानी जाम करना बहुत मुश्किल है। ये एयर डिफेंस सस्टिम दुश्मन के एयरक्राफ्ट, बैलेस्टिक मिसाइल और अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को नष्ट कर सकता है। साथ ही इसकी रेंज 40 किलोमीटर से लेकर 400 किमी तक है।
-एजेंसी