लूना-25 मिशन के जरिए 50 साल बाद एक बार फिर चंद्रमा पर कदम रखने जा रहा है रूस

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रूस के इस लूनर लैंडर को उतारने का मुख्‍य मकसद चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव इलाके में पहुंचना है जो अत्‍यधिक संभावनाओं से भरा बताया जा रहा है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रूस का यह लूना-25 यान संरचना की जांच करेगा और कई तरह के शोध करेगा। इसके अलावा प्‍लाज्‍मा और वातावरण में मौजूद धूल के कणों की भी जांच करेगा। इससे पहले साल 1976 में सोवियत संघ ने लूना-24 मिशन लॉन्‍च किया था जो चांद के नमूने लाने गया था। इसके बाद से रूस अब तक चांद से दूर ही बना हुआ था।

चीन और रूस की चंद्रमा पर अड्डा बनाने की तैयारी

अब रूस ने अपने लूना-25 मिशन के जरिए एक बार फिर से चंद्रमा पर अपने कदम बढ़ाए हैं। इसे रूस की नीतियों में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। अब रूस चीन के साथ सहयोग कर रहा है ताकि चांद पर ‘कब्‍जे’ को लेकर छिड़ी वैश्विक प्रतिस्‍पर्द्धा में आगे बना रहा जाए। हालांकि 50 साल बाद एक बार फिर से रूस के चंद्रमा तक पहुंचने की राह आसान नहीं रही। यूक्रेन युद्ध की वजह से इसमें दो साल की देरी हुई है। रूस को यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी से दोस्‍ती तोड़कर खुद ही अब चंद्रमा मिशन के लिए उपकरण बनाना पड़ रहा है।

चंद्रयान-3 को मात दे सकता है लूना 25

रूस अब चीन के साथ दोस्‍ती मजबूत कर रहा है। दोनों का इलाका अब चांद पर अड्डा बनाने का है। चीन अब बहुत तेजी से अपने चंद्रमा मिशन को आगे बढ़ा रहा है ताकि अमेरिका के अंर्तेमिस मिशन को मात दी जा सके। चीन अब चांद पर इंटरनैशनल लूनर रीसर्च स्‍टेशन बनाना चाहता है जिसे यूएई और पाकिस्‍तान जैसे देशों से समर्थन मिल रहा है।

रूस का लूना-25 यान 5 से 7 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंच जाएगा। इसके बाद दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास करेगा। रूस के इस टाइमलाइन से पता चलता है कि अगर सब सही रहा तो लूना-25 यान चंद्रयान के समय ही या उससे पहले ही चांद पर उतर जाएगा। चांद का यह इलाका पानी और कई खनिजों से भरा हुआ है।

Compiled: up18 News