अमेरिका के न्यूयॉर्क में शनिवार को ‘इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ: डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट’ कार्यक्रम आयोजित किया गया.
इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि ग्लोबल साउथ के साथ भारत का जुड़ाव सिर्फ नीति का मामला नहीं है बल्कि हमारी संस्कृति और दर्शन में यह रचा-बसा हुआ है.
उन्होंने कहा, “इस महीने की शुरुआत में जी20 में दिल्ली डेक्लरेशन ने हमारे साथी विकासशील देशों के साथ व्यापक विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता को मज़बूत किया है.”
कंबोज ने याद दिलाया कि भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान करीब 100 देशों को भारत की बनी वैक्सीन और करीब 150 देशों को दवाएं पहुंचाई थीं, जिसके चलते भारत को ‘द फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ कहा गया.
उन्होंने कहा कि भारत ने विकास के क्षेत्र में देशों के साथ साझेदारियों को बढ़ाया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत-संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट पार्टनरशिप फंड ने छह सालों के अंदर 56 विकासशील देशों में 75 परियोजनाओं के पोर्टफोलियो को बनाने का काम किया है.
कंबोज ने कहा कि भारत अलग-अलग क्षेत्रों में 78 देशों के साथ मिलकर डेवलपमेंट का काम कर रहा है और भारत ने पिछले दशक में 600 परियोजनाएं शुरू की हैं, जो दोस्तों के प्रति हमारे अच्छे व्यवहार को दिखाती हैं.
उन्होंने कहा कि भारत जब विकास की बात करता है तो क्षमता को बढ़ाना हमेशा से केंद्र में रहता है और यही वजह है कि हमने 160 से ज्यादा देशों में 2 लाख व्यक्तियों को ट्रेनिंग देने की पेशकश की है.
कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने भारत की जी20 अध्यक्षता की सराहना भी की और भारत के नेतृत्व में अफ्रीकन यूनियन के शामिल होने को ऐतिहासिक बताया.
इसमें भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता करना भारत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था.
उन्होंने कहा, “इस समय दुनिया में पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण चल रहा है, वहीं उत्तर-दक्षिण देशों के बीच विभाजन की रेखा खिंची है. ऐसे में सभी को साथ लाकर एक एजेंडे पर बात करना आसान नहीं था.”
Compiled: up18 News
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