अदालत की स्वतंत्रता का सम्मान ठीक परंतु लक्ष्मण रेखा का सम्मान भी जरूरी: कानून मंत्री किरेन रिजिजू

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नई दिल्‍ली। देशद्रोह कानून पर रोक लगाए जाने के बाद कानून मंत्री किरेन रिजिजू बोले कि वह “अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं”, लेकिन एक “लक्ष्मण रेखा” है जिसे पार नहीं किया जा सकता है।

देशद्रोह कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद तमाम प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है। सुप्रीम फैसले के तुरंत बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशद्रोह कानून पर फिलहाल रोक लगी रहेगी क्योंकि अभी सरकार की इस पर समीक्षा करनी बाकी है। तब तक देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद आरोपी जमानत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र के इस तर्क को खारिज कर दिया कि अदालतों में इस तरह के मुकदमे जारी रहने चाहिए क्योंकि आतंकवाद जैसे आरोप शामिल हो सकते हैं।

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा, “हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी है और अपने पीएम (प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी) के इरादे के बारे में अदालत को सूचित किया है। हम अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। लेकिन एक ‘लक्ष्मण रेखा’ है जिसका सम्मान सभी अंगों द्वारा किया जाना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ मौजूदा कानूनों का सम्मान करें।”

  • एजेंसी

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