ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ दिया है. कांग्रेस के अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में उन्होंने विस्तार से अपने इस्तीफ़े की वजह बताई है. ग़ुलाम नबी आज़ाद लंबे समय से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज़ बताए जा रहे थे.
उन्हें कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं के ग्रुप जी-23 का भी हिस्सा माना जाता था, जिन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस संगठन में फेरबदल की मांग की थी और ये भी आरोप लगाया था कि इसकी अनदेखी की जा रही है.
अपने पाँच पन्नों के इस्तीफ़े में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस के साथ अपने लंबे संबंधों का ज़िक्र किया है, साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से अपने रिश्तों को भी याद किया है.
आज़ाद ने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी में ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ से वापस लौटना मुश्किल है. इसी महीने 18 अगस्त को ग़ुलाम नबी आज़ाद को जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की चुनाव समिति का प्रमुख बनाया गया था.
लेकिन कुछ ही घंटों के बाद उन्होंने स्वास्थ्य का आधार देते हुए पद छोड़ने की घोषणा की थी. कांग्रेस में जल्द ही संगठन के चुनाव होने वाले हैं. जो पिछले कुछ समय से टल रहे हैं. सोनिया गांधी अभी अंतरिम अध्यक्ष हैं.
आज़ाद ने अपनी चिट्ठी में चुनाव प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी का ज़िक्र करते हुए ग़ुलाम नबी आज़ाद ने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी की ये हालत इसलिए हुई है क्योंकि पिछले आठ वर्षों से नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को आगे किया, जो कभी गंभीर था ही नहीं.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री और ख़ासकर जब वर्ष 2013 में जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी के अंदर की सलाह लेने की प्रक्रिया को उन्होंने पूरी तरह ख़त्म कर दिया.
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि पार्टी में सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे कर दिया गया और ग़ैर अनुभवी और चापलूसों को पार्टी के मामलों में प्राथमिकता दी जाने लगी.
सोनिया गांधी को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है कि वो ये इस्तीफ़ा बहुत भारी मन से दे रहे हैं.
कांग्रेस के लिए महज़ एक हफ़्ते में यह दोहरा झटका है. इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति से इस्तीफ़ा दे दिया था.
आनंद शर्मा ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा था कि वो अपने “आत्मसम्मान से समझौता नहीं करेंगे.”
गुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफ़े पर अब प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं.
उमर अब्दुल्लाह ने इस पर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, “लंबे समय से अफ़वाह उड़ रही थी लेकिन कांग्रेस के लिए एक झटका कम नहीं था. शायद हाल के दिनों में पार्टी छोड़ने वाले वो सबसे वरिष्ठ नेता हैं. उनका इस्तीफ़ा पढ़ना बहुत तकलीफदेह है. भारत की सबसे पुरानी पार्टी में टूट होते देखना, काफी दुखद है.”
-एजेंसी
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