धर्म परिवर्तन कर मुसलमान और ईसाई बनने वालों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केंद्र सरकार ने दलित मुसलमानों और ईसाइयों को अनुसूचित जाति से बाहर रखने का बचाव किया है.
सरकार ने कहा कि ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि इस्लाम और ईसाई धर्म के लोगों को किसी भी पिछड़ेपन या भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफ़नामे में कहा कि दलित मुसलमान और ईसाई अनुसूचित जाति को मिलने वाले लाभों का दावा नहीं कर सकते. मंत्रालय के मुताबिक संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में कोई भी असंवैधानिकता नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ ने याचिका दाखिल कर इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलित समुदायों को आरक्षण और अन्य लाभ देने की मांग की है.
इस याचिका के जवाब में मंत्रालय ने कहा है कि अनुसूचित जाति की पहचान एक विशेष सामाजिक कलंक को देखते हुए की गई है जो संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के तहत अनुसूचित समुदायों तक सीमित है.
-एजेंसी