हिजाब मामले में छात्राओं की याचिका खारिज कर कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- इस्लाम में हिजाब पहनना एक अनिवार्य प्रथा नहीं

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कर्नाटक हाई कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर एक महत्वपूर्ण मामले में फ़ैसला सुनाते हुए छात्राओं की याचिका ख़ारिज कर दी है. अदालत ने साथ ही कहा है कि इस्लाम धर्म में हिजाब पहनना एक अनिवार्य प्रथा नहीं है.

कर्नाटक में उडुपी के एक कॉलेज में हिजाब पहनने से रोके जाने पर छह छात्राओं ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है लिहाज़ा उन्हें इससे रोका नहीं जा सकता.

राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करके यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियों को दे दिया था. इसके बाद विवाद अन्य इलाक़ों में भी फ़ैल गया. कुछ कॉलेजों में छात्र हिजाब के विरोध में भगवा शॉल भी पहनकर आने लगे थे.

इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत के फ़ैसले से पहले राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस महानिदेशक ने राज्य पुलिस को चौकस रहने का आदेश दिया है.

बेंगलुरू, मैसूर और बेलगावी में आज से एक सप्ताह के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. उडुपी में पहले से ही धारा 144 लागू है.

उडुपी, दक्षिण कन्नड़ा, शिवमोगा और कलबुर्गी में आज स्कूल बंद कर दिए गए हैं.

क्या था विवाद

इस विवाद की शुरुआत कर्नाटक से हुई थी जब उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर विमेनमें छह छात्राओं को हिजाब पहन कर आने से रोक दिया गया. छात्राओं ने कॉलेज के फैसले को मानने से इंकार कर दिया था.

जब इन छात्राओं की बात नहीं सुनी गई तो इन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया. ये मामला तब और बढ़ गया जब उडुपी ज़िले के कॉलेज में लड़कियों के हिजाब के जवाब में कुछ छात्र भगवा शॉल पहन कर आने लगे.

इसके बाद लड़कियों ने भी भगवा शॉल पहन कर जुलुस की शक्ल में एक प्राइवेट कॉलेज में घुसने की कोशिश की. मामला तूल पकड़ता गया और राजनीतिक पार्टियां भी इस विवाद में कूद पड़ीं.

राज्य सरकार का कहना था कि स्कूल और कॉलेज में पहले से तय किया गया यूनिफॉर्म ही पहना जा सकता है.
कॉलेज ने लड़कियों को ये विकल्प भी दिया कि वो स्कूल आते और जाते समय वो हिजाब पहन सकती हैं लेकिन क्लास लेते हुए हिजाब उतारना होगा लेकिन छात्राओं का कहना था कि वो हिजाब पहनकर ही क्लास में जाना चाहती हैं.

राज्य सरकार ने यूनिफॉर्म को लेकर आदेश भी जारी किया था जिसके मुताबिक सरकारी शिक्षा संस्थानों की कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां यह फैसला ले सकती हैं कि यूनिफॉर्म कैसी होगी. निजी संस्थान यह फैसला कर सकते हैं कि कॉलेजों में यूनिफॉर्म जरूरी है या नहीं.

दूसरे इलाक़ों तक फ़ैला विवाद

हिजाब पहनने से रोके जाने पर छात्राओं ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना है कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है लिहाज़ा उन्हें इससे रोका नहीं जा सकता.

पहले इस मामले की हाईकोर्ट की सिंगल बेंच सुनवाई कर रही थी लेकिन फिर इसे तीन सदस्यीय बेंच के पास भेज दिया गया.

इस बीच हिजाब विवाद का मामला उडुपी से निकलकर दूसरे स्कूलों तक भी पहुंच गया. यहां भी छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज आने लगीं.

देश में कई जगहों पर स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन होने लगे. कर्नाटक में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुईं.

विवाद बढ़ता देख सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई और स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश दे दिए.

सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं की याचिकाओं पर अंतिम फैसला ना होने तक स्कूल-कॉलेज में धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगा दी थी.
कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम काजी इस मामले की सुनवाई कर रहे थे.

कई दिनों तक चली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं और सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.

-एजेंसियां