आगरा: सावन माह के अंतिम सोमवार को मंदिरों में भक्तों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। शहर के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक रावली महादेव मंदिर भी है।
सावन के अंतिम सोमवार को भक्त यहां पर भक्ति भाव के साथ पहुंचे और विधि विधान के साथ रावली महादेव की पूजा आराधना की। भक्तों ने भगवान शिव की शिवलिंग पर दूध और दही से अभिषेक किया। साथ ही बेल पत्र के पत्ते और धतूरे को चढ़ा कर विधि विधान के साथ पूजा आराधना की।
राजा मानसिंह ने स्थापित किया था शिवलिंग को:-
मंदिर के महंत ने बताया कि रावली महादेव मंदिर की शिवलिंग को आमेर के राजा मानसिंह के द्वारा स्थापित कराया गया था। इसके पीछे भी बड़ा रोचक इतिहास है। उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्गों ने उन्हें बताया था कि अकबर के शासनकाल में आमेर के राजा मानसिंह युद्ध के लिए अफगानिस्तान गए थे।
वहां अटक पहाड़ी पर भ्रमण कर रहे थे, तभी उन्हें एक शिवलिंग मिला। उन्होंने उसे लाकर आगरा के एक वीरान स्थल पर स्थापित करा दिया।
मंदिर के आसपास रावल राजपूत रहते थे।।
इसलिए इसका नाम रावली महादेव मंदिर पड़ गया। यहां पर भक्त आने लगे तो इस मंदिर का भी विस्तार हुआ इसकी अद्भुत शक्ति है जिसके आगे हर कोई नमन करता है।
अद्भुत शक्ति के रूप में विराजमान है रावली महादेव:
मंदिर के महंत ने बताया कि ब्रिटिश शासनकाल में जब रेल लाइन बिछाई गई। तब इस मंदिर को कुछ पीछे करने के प्रयास किए गए। लेकिन सफलता नहीं मिली।
मंदिर पीछे होता नहीं था और स्थिति वही हो जाती थ। इसलिए ब्रिटिश हुकूमत को रेल लाइन को मंदिर के सामने घुमाकर बिछाना पड़ा, जिसे आज भी देखा जा सकता है।
रावली महादेव मंदिर के पीछे जो रेलवे लाइन है उसमें काफी बड़ा कर्व है। मंदिर में बाबा भोले के प्राचीन शिवलिंग के अलावा बजरंग बली, भगवान राम, राधा-कृष्ण, भैरों बाबा आदि की प्रतिमाएं हैं।
सावन माह के अंतिम सोमवार को उमड़ी है भक्तों की भीड़:-
मंदिर की महंत ने बताया कि प्रतिदिन यहां समय पर पूजन होता है। पिछले साल कोरोना के चलते भक्त बाबा के दर्शन का लाभ नहीं ले सके थे लेकिन इस बार सावन माह में भक्तों का सैलाब रावली महादेव के दर्शन के लिए उमडा है। आज भी सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। भक्त भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना कर रहे हैं। वैसे ही रावली महादेव के श्रृंगार और जलाभिषेक के कार्यक्रम चल रहे हैं।