रामरी द्वीप नरसंहार: जिसमें 500 जापानी सैनिकों को जिंदा खा गए मगरमच्छ

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रामरी द्वीप नरसंहार को कई लोग इतिहास का सबसे भयानक मगरमच्छ हमला मानते हैं। इस नरसंहार में लगभग 100 मगरमच्छ अंधेरे दलदल से भाग रहे सैनिकों पर टूट पड़े थे।

यह घटना 79 साल पहले हुई था, जब ब्रिटिश सैनिक दूसरे विश्व युद्ध के चरम के दौरान बर्मा (म्यांमार) में लड़ रहे थे।लड़ाई के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने 1000 दुश्मन जापानी सैनिकों को दलदली मैंग्रोव जंगल में पीछे धकेल दिया था। लड़ाई दोनों तरफ से चल रही थी लेकिन जब दोनों सेनाएं एक दूसरे के हमले से बचने की कोशिश कर रही थीं, तभी एक तीसरा दुश्मन आ गया। दुर्भाग्य से जापानी सैनिकों को अंदाजा भी नहीं था कि आखिर उनकी और कौन सा खतरा बढ़ रहा है।

500 सैनिक दलदल से नहीं निकले

प्रकृतिवादी ब्रूस स्टैनली राइट का दावा है कि वह इस घटना के दौरान मौजूद थे। उनका कहना है कि युद्ध के शोर और खून की गंध मगरमच्छों को पहले ही मिल गई थी। लगभग 100 मगरमच्छ इन सैनिकों के इंतजार में लेटे थे। उन्होंने आगे बताया कि ‘ज्वार के उतार के साथ मगरमच्छों ने मृत, घायल और गैर-घायल लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया। वह रात क्रू के किसी भी सदस्य की सबसे भयानक रात थी।’ उन्होंने कहा कि इस बात की सटीक जानकारी नहीं कि कितने सैनिक इस हमले में मारे गए लेकिन एक अनुमान के अनुसार करीब 500 लोग कभी दलदल से नहीं निकले।

नरक की आई आवाज

राइट ने कहा, ‘इन बड़े मगरमच्छों के हमलों से चिल्लाहट की आवाज आने लगी। सैनिक फायर करने लगे। यह नरक जैसी आवाज थी, जिसे शायद ही पृथ्वी पर दोहराया जा सके।’ उन्होंने कहा कि मगरमच्छों ने जो कुछ छोड़ा, उसे खाने के लिए सुबह गिद्ध आ गए। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक राइट के इस दावे के कारण केवल 20 जापानी सैनिक जिंदा बचे थे। उनकी कहानी के कारण इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जानवरों द्वारा किया गया अब तक का सबसे भयानक हमला माना गया है।

-एजेंसी


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