मंत्री पुत्र को प्रोटोकॉल दिलाने वाले निजी सचिव पर कार्यवाई, CM योगी की नाराजगी के बाद पद से हटाया गया

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बेटे अभिषेक सिंह को प्रोटोकॉल दिलाने के मामले में मंत्री के निजी सचिव आनंद शर्मा को पद से हटा दिया गया है। यह निर्णय तब लिया गया जब मामला राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर विवाद का कारण बना और मुख्यमंत्री कार्यालय समेत बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

सूत्रों के अनुसार, पार्टी और सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने स्वतंत्र देव सिंह को उनके निजी सचिव को हटाने की सलाह दी थी, जिसके बाद आनंद शर्मा को पद से हटाने का आदेश जारी किया गया। शर्मा सचिवालय में सेवा रैंक के अधिकारी थे।

ये था पूरा मामला

यह मामला 15 अगस्त 2025 का है। स्वतंत्रता दिवस पर उरई में तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया था, जिसमें मंत्री के बेटे अभिषेक सिंह शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में जिला प्रशासन की ओर से उन्हें प्रोटोकॉल और सुरक्षा मुहैया कराई गई।

इसके लिए मंत्री के निजी सचिव आनंद कुमार की ओर से 14 अगस्त को जालौन के डीएम और एसपी को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें अभिषेक सिंह के आगमन और कार्यक्रम में भागीदारी के दौरान आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया था। हालांकि, जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया, तब आनंद शर्मा ने खुद को पत्र भेजने से इनकार करते हुए इसे फर्जी बताया।

एसपी डॉ. दुर्गेश कुमार ने स्पष्ट किया कि अभिषेक सिंह को कोई विशेष सुरक्षा नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल उन्हीं को दिया जाता है जो शासन की तय श्रेणी में आते हैं।

सिटी मजिस्ट्रेट राजेश वर्मा ने भी कहा कि उनके कार्यालय से कोई प्रोटोकॉल जारी नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि प्रोटोकॉल की मांग के कई पत्र आते हैं, लेकिन उसे केवल उन्हीं को दिया जाता है जो पात्र होते हैं।

अभिषेक सिंह के पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) सत्येश ने बताया कि एक सिपाही को प्रोटोकॉल के तहत तैनात किया गया था, और ऐसा पहली बार हुआ था।

इन लोगों को मिलता है वीआईपी प्रोटोकॉल

नियमों के अनुसार, वीआईपी प्रोटोकॉल सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्हें Z, Z+ या Y श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त होती है, अथवा वे मंत्री, सांसद, न्यायाधीश, सेना प्रमुख, मुख्यमंत्री, राज्यपाल जैसे उच्च पदों पर हों। किसी भी आम व्यक्ति को यह सुविधा तभी मिल सकती है जब वह शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार भुगतान कर वैध प्रक्रिया पूरी करे।

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