गर्भावस्था में मां और भ्रूण की शारीरिक जरूरतें बढ़ जाती हैं। रिसर्च इससे जुड़ी कई वैकल्पिक उपचारों को सामने लेकर आया है जो गर्भावस्था में पीठ दर्द, पैर दर्द और मितली में राहत पहुंचाता है और इसके अलावा नॉर्मल लेबर, अवसाद कम करना, कोर्टिसोल के स्तर को और प्रीमैच्योर बच्चे के पैदा होने की संभावना को कम करने में मदद करता है।
गर्भावस्था के लिए अच्छा होता है योगाभ्यास
योगाभ्यास के अंतर्गत शरीर को ढ़ीला छोड़ने का अभ्यास, सांस संबंधी अभ्यास, बैठने का आसन, चित्त आसन, प्राणायाम और ध्यान आते हैं। बच्चे को जन्म देने की तैयारी में योग काफी मददगार होता है। अगर आप गर्भवती हैं और खुद को आराम पहुंचाने या फिट रखने का तरीका ढ़ूंढ़ रही हैं तो आपको प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग करना चाहिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग आपको प्रसव पीड़ा के लिए भी तैयार रहने में मदद करता है और आपके बच्चे के स्वास्थ्य में भी?
इससे पहले कि आप प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग शुरु करें, आप इससे मिलने वाले संभावित लाभ और इसकी जरूरतें और सुरक्षा टिप्स समझ लें। अन्य बच्चों के जन्म की तैयारी कराने वाली कक्षाओं की तरह प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग भी बहुआयामी दृष्टिकोण वाला व्यायाम है जो स्ट्रेचिंग, ध्यान केंद्रित करने और सांस संबंधी व्यायाम को प्रोत्साहन देता है। रिसर्च का कहना है कि प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग सुरक्षित होता है और इससे बच्चा और गर्भवती मां दोनों लाभ पा सकते हैं।
रिसर्च दर्शाता है कि प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग अच्छी नींद देता है, तनाव और चिंता को कम करता है, बच्चे के जन्म के लिए मांसपेशियों को लचीलापन और मजबूती प्रदान करता है और सहनशक्ति को भी बढ़ाता है। यह पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द, उल्टी, कार्पल टनल सिंड्रोम के लक्षण, सिर दर्द और सांस की तकलीफ को भी कम करता है।
प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग आपको दूसरी गर्भवती महिलाओं से मिलने और उनके साथ एक साझेदारी कायम करने में भी मदद करता है। इससे आपका पहली बार मां बनने का तनाव कम होता है। एक आदर्श प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग में निम्नांकित चीजें आती हैं:
● सांस लेना: इस योग से आपको नाक के द्वारा धीमी गति से और गहरी सांस लेने और छोड़ने में सहायता मिलेगी। प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग की सांस लेने की तकनीक आपको गर्भावस्था के दौरान सांस लेने में होने वाली तकलीफ में मदद करेगा और प्रसव के दौरान संकुचन के द्वारा काम करेगा।
● शरीर को आराम से और धीरे से स्ट्रेच करना: ये योग आपको शरीर के विभिन्न हिस्सो में जैसे गर्दन, बाजू इत्यादि को धीरे-धीरे हिलाने या स्ट्रेच करने में मदद करेगा।
● आसन: इस योग में शरीर को मजबूती, लचीलापन और संतुलन के विकास के लिए जब आप खड़ी होती हैं, बैठती हैं या जमीन पर लेटती हैं तो, आपको अपने शरीर को अलग-अलग अवस्था में धीरे-धीरे ले जाना होता है।
● मन को शांत रखना और आराम देना: प्रीनेटल (प्रसव-पूर्व) योग के हर अंतिम सत्र में आप अपनी मांसपेशियों को आराम देंगी और दिल की धड़कन और गति को फिर से वापस सामान्य करेंगी। इस योग में अपनी सांस को सुनने, अपनी संवेदनाओं, विचारों और भावनाओं पर करीब से ध्यान देने या किसी मंत्र या शब्द को दुहराने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा ताकि आप स्व-जागरूकता की अवस्था या आंतरिक शांति को पा सकें।
-एजेंसी
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