पोप फ्रांसिस ने कहा, महिलाओं के खतना की प्रथा एक ‘अपराध’

INTERNATIONAL

कुछ देशों में महिलाओं का खतना प्रतिबंधित है, वहीं कुछ देशों में आज भी यह हो रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में बोहरा समुदाय के मुस्लिमों में महिलाओं का खतना किया जाता है। मिस्र ने साल 2008 में महिलाओं का खतना प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन आज भी वहां इस तरह के मामले दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। बहरीन से वापस लौटते वक्त पोप फ्रांसिस ने महिलाओं के अधिकारों से जुड़े एक सवाल के जवाब में इस दर्दनाक प्रथा का जिक्र किया।

40 लाख लड़कियों पर मंडरा रहा खतरा

पोप ने कहा कि क्या आज हम दुनिया में युवतियों के साथ इस त्रासदी को नहीं रोक सकते? यह भयानक है कि आज भी यह प्रथा अस्तित्व में है, जिसे मानवता रोक नहीं पा रही है। यह एक अपराध है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, एफजीएम अफ्रीका और मिडिल ईस्ट के करीब 30 देशों में केंद्रित है। लेकिन दूसरी जगहों पर अप्रवासी आबादी भी इस प्रथा का पालन करती है। यूएन का कहना है कि इस साल 40 लाख से अधिक लड़कियों पर एफजीएम से गुजरने का खतरा मंडरा रहा है।

क्या होता है महिलाओं का खतना?

महिलाओं का खतना रूढ़िवादियों की एक बेहद दर्दनाक प्रक्रिया होती है। इसमें महिलाओं के जननांगों को विकृत कर दिया जाता है। इसमें महिलाओं के बाहरी गुप्तांग को किसी धारदार चीज से काटकर अलग कर दिया जाता है। दुनिया के कई देश इसका विरोध करते हैं और वैश्विक नेता इसे 2030 तक पूरी तरह खत्म करने का वादा करते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि पश्चिमी देशों में भी बड़ी संख्या में लड़कियों को इस दर्द से गुजरती हैं।

यूएन ने बताया ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन’

संयुक्त राष्ट्र इस कुप्रथा को ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन’ करार दे चुका है। इसे रोकने और इस बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए 6 फरवरी को ‘इंटरनेशनल डे ऑफ़ ज़ीरो टॉलरेंस फ़ॉर एफ़जीएम’ मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि किसी भी मेडिकल कारण के बिना महिलाओं के गुप्तांगों को नुकसान पहुंचाने वाली प्रक्रिया एफजीएम की कैटेगरी में आती है। इस प्रक्रिया में नवजात बच्चियों से लेकर 15 साल की लड़कियां शामिल होती हैं। इनके साथ इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

Compiled: up18 News


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.