सरकारी मुलाजिमो की सरपरस्ती में फलते फूलते पॉलीथिन माफिया

अन्तर्द्वन्द
योगेश त्यागी (वरिष्ठ पत्रकार)

बीते दो दशकों से विभिन्न सरकारें पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहद चिंतित नज़र आ रही हैं। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए अलग अलग सरकारों ने समय समय पर पॉलिथीन के उपयोग पर  प्रतिबंध लगाये हैं। यकीनन केंद्र में मोदी सरकार बनने के  बाद पर्यावरण संरक्षण को लेकर ठोस कदम उठाएं गये हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल और कागज की बर्वादी को लेकर  महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैं। सरकार ने अपने हालिया आदेश में सभी सरकारी अधिकारियों को मीटिंग के दौरान पानी के लिए प्लास्टिक की बोतल का उपयोग नहीं करने के निर्देश जारी किए हैं। पर क्या मजाल है कि सरकार की तमाम नायाब कोशिशों का तनिक मात्र भी असर पॉलीथिन के उपयोग पर पड़ा हो।

पॉलिथीन प्रतिबंध के आदेश यह दर्शाते हैं कि सरकार का नेतृत्व करने वाले तो पॉलीथिन प्रतिबंध को लेकर गंभीर हैं लेकिन सरकारी मुलाजिमो ने इसे शायद अवैध धन उगाई का जरिया बना लिया है। क्योंकि जिस विधानसभा में कानून बनते हैं, ठीक उसी के बाहर ठेले, दुकानों और खोमचे पर धड़ल्ले से पॉलीथिन का उपयोग होता है। मसला यह नहीं है कि बाजार में प्रतिबंधित पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है, सवाल तो यह है कि यह प्रतिबंधित पॉलीथिन बाजार तक किस रास्ते से पहुंच रही है ?

पॉलीथिन के उपयोग पर लगे प्रतिबंधों को सरकारी मुलाजिम आम नागरिक और व्यापारियों के लिए तो इस्तेमाल करते हैं लेकिन पॉलीथिन माफियों के साथ सांठ गांठ के चलते कानून और नियमों को सरेबाजार नीलाम करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अवैध पोलिथिन के ट्रक पकड़े तो जाते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति का ख़ाका खींच कर मामले को मौके पर ही रफा दफा कर दिया जाता है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ज़ीरो टोलरेंस की नीति की बात करते हैं लेकिन उनके अपने सरकारी कर्मचारी ही मुख्यमंत्री की उम्मीदों का पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

-up18news