प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में कहा है कि आज का भारत आकांक्षाओं से भरा भारत है जहाँ लोग चीज़ों को बदलते हुए देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, “देश का हर नागरिक चीजें बदलते हुए देखना चाहता है, बदलना चाहता है लेकिन इंतज़ार नहीं करना चाहता है. अपनी आँखों से देखना चाहता है. वह गति चाहता है, प्रगति देखना चाहता है. 75 साल के सपनों को अपनी आंखों के आगे ही सच होते देखना चाहता है.”
पीएम मोदी ने कहा, “जब हम अमृतकाल की ओर बढ़ रहे हैं तो मैं एक ऐसे सामर्थ्य को देख रहा हूं, जिससे मैं गौरव से भर जाता हूं. मैं आज देश का सबसे बड़ा सौभाग्य ये समझता हूं कि भारत का जन-मन आकांक्षी जन-मन है. किसी भी देश के लिए यह अमानत होती है और हमें गर्व है कि आज हिंदुस्तान के हर कोने, हर वर्ग में, हर तबके में आकांक्षाएं उफ़ान पर हैं.”
पहली बार मेड इन इंडिया तोप ने दी तिरंगे को सलामी: पीएम
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत किसी सरकार का एजेंडा नहीं है. यह समाज का जन-आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है.
उन्होंने कहा, “आज़ादी के 75 साल के बाद जिस आवाज़ को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल के बाद वो आवाज़ सुनाई दी. 75 साल के बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार मेड इन इंडिया तोप ने किया है. कौन हिंदुस्तानी होगा जो ये बात, ये आवाज़ उसे नई प्रेरणा या ताक़त नहीं देगी.”
भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर भी बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त पर लाल क़िले से अपने संबोधन में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और परिवारवाद के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा, “देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां है. पहली चुनौती- भ्रष्टाचार है जबकि दूसरी चुनौती है भाई-भतीजावाद और परिवारवाद.”
पीएम मोदी ने कहा, “भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा. हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं.”
पीएम मोदी ने कहा, “जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं. जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है.”
पीएम मोदी ने कहा कि जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफ़रत का भाव पैदा नहीं होता होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता ख़त्म नहीं होने वाली है.
पीएम मोदी बोले: हमारे अंदर एक विकृति आ गई है, हम नारी का अपमान करते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में महिलाओं के सम्मान को लेकर भी बातें कीं.
उन्होंने कहा, “मेरे दिल में एक बहुत बड़ी पीड़ा है. मैं ये दर्द कहे बिना नहीं रह सकता हूं. हो सकता है कि यह लाल किले से कहने का विषय ना हो लेकिन मेरे भीतर का ये दर्द मैं अपने देशवासियों से नहीं कहूंगा तो किससे कहूंगा.”
पीएम मोदी ने कहा, “किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल-चाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में… हम नारी का अपमान करते हैं. क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोज़मर्रा की ज़िंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं?”
पीएम मोदी ने कहा कि नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है इसलिए मेरा यह आपसे आग्रह है.
भाषाओं के सम्मान और नई शिक्षा नीति पर भी बोले पीएम मोदी
उन्होंने कहा, “जिस तरह से नई शिक्षा नीति बनी है और करोड़ों लोगों के विचारों को समाहित करके बनी है. ये एक ऐसा सामर्थ्य जो हमें ग़ुलामी से मुक्ति की ताक़त देगा.”
भाषा को लेकर पीएम ने कहा कि कभी-कभी हमारा टैलेंट भाषा के बंधनों मे बंध जाता है. ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है. हमें हमारी देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए. हमें कोई भाषा आती हो या ना आती हो लेकिन मेरे देश की भाषा है, मेरे पूर्वजों की भाषा है, हमें ये सोचकर गौरवांवित होना चाहिए
पीएम मोदी ने कहा, देश को लेने चाहिए ये 5 प्रण
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल क़िले से अपने संबोधन में कहा है कि देश को आज़ादी के 75वें वर्ष में पाँच प्रण लेना चाहिए.
1- बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा
2- मन के भीतर बचे गुलामी के किसी भी अंश को समाप्त करना होगा
3- अपनी विरासत पर गर्व करना होगा
4- एकता और एकजुटता दिखानी होगी
5- नागरिकों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा
उन्होंने कहा, “आने वाले 25 साल के लिए हमें इन पंच प्राण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा. 2047 जब आज़ादी के 100 साल होंगे, आज़ादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा.”
प्रधानमंत्री ने आज़ादी के बाद देश-निर्माण करने वाले नेताओं को किया याद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत देश के हर नागरिक और भारत-प्रेमियों को आज़ादी के अमृत महोत्सव की बधाई देने से की.अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह एक पुण्य अवसर है.
उन्होंने कहा, “ग़ुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बिता है. कोई जगह ऐसी नहीं थी जब देशवासियों ने ग़ुलामी के ख़िलाफ़ आहुति ना दी हो. आज का यह मौक़ा देश के लिए त्याग करने वाले हर त्यागी को स्मरण करने का दिन है. इसके साथ ही उनके सपनों को पूर्ण करने के लिए संकल्प लेने का दिन है.”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर और वीर सावरकर का नाम लेते हुए कहा कि इन लोगों ने कर्तव्य पथ पर खुद को खपा दिया.
पीएम ने कहा कि ये देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफ़ाक उल्लाह ख़ान, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे अनगिनत क्रांति वीरों का, जिन्होंने अंग्रेज़ो की हुकूमत की नींव हिला दी.
पीएम ने अपने संबोधन में देश की वीरांगनाओं रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी चेनम्मा, बेग़म हजरत महल जैसी वीरांगनाओं को याद करते हुए नारी-शक्ति का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि देश की वीरांगनाओं को याद करते हुए हम गर्व से भर जाते हैं.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद और नेहरू का भी ज़िक्र किया.
पीएम मोदी ने कहा, “आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले और आज़ादी के बाद देश का निर्माण करने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद हों, नेहरू हों, पटेल हों, श्यामा प्रसाद हो, लाल बहादुर शास्त्री जैसे अनगिनत महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है. ”
प्रधानमंत्री आज सर्वप्रथम अपने सरकारी आवास से महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि देने राजघाट पहुंचे.
लाल किले पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनकी अगुवाई की. इस दौरान तीनों सेनाओं के अध्यक्ष भी मौजूद रहे और उनकी अगवानी की.
इसके बाद प्रधानमंत्री ने सलामी ली और उन्होंने गार्ड ऑफ़ ऑनर का निरीक्षण किया.
-एजेंसी