देश के लोगों में आजादी की लौ जलाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों में मंगल पांडेय का नाम काफी ऊपर आता है। देश आज उनकी 196वीं जन्म जयंती मना रहा है। अंग्रेजी फौज के सिपाही रहे मंगल पांडेय ने देश के लोगों में आजादी ऐसी अलख जगाई कि 90 साल बाद अंग्रेजी हुकूमत को देश छोड़ना पड़ा। 1857 के सिपाही विद्रोह को आजादी की पहली लड़ाई के रूप में जाना जाता है। इस लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने वाले मंगल पांडेय को उनकी जयंती के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ही अंदाज में याद किया। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम ने कहा कि उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित की। अनगिनत लोगों को प्रेरित किया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगल पांडेय को याद करते हुए मेरठ में स्थापित शहीद स्मारक की तस्वीर जारी की है। पीएम मोदी इस स्मारक पर 2 जनवरी 2022 को पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने भारत के इस महान सपूत को याद किया। 30 साल की आयु में अंग्रेजी हुकूमत ने मंगल पांडेय को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया था। उन्होंने मेरठ में ही अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत की थी।
10 मई 1857 को मेरठ के कोतवाल धन सिंह गुर्जर और मंगल पांडेय ने हथियार उठा लिया था। मेरठ में शहीद स्मारक पर यूपी के बलिया के नगवां गांव में जन्म लेने वाले इस सपूत की आदमकद प्रतिमा लगाई गई है। यह युवाओं में आज भी जोश भरती है। पीएम मोदी ने उसी को ध्यान में रखते हुए अपनी बात रखी है।
साहस और दृढ़ता का पर्याय थे मंगल
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मंगल पांडेय साहस और दृढ़ता का पर्याय हैं। उन्होंने इतिहास के बेहद महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की लौ जलाई। अनगिनत लोगों को प्रेरित किया। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि। मेरठ में इस वर्ष की शुरुआत में उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी। इस संदेश के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर एक तस्वीर भी साझा की। तस्वीर में वह पांडे की एक प्रतिमा को नमन करते नजर आ रहे हैं। इसके बाद इस प्रतिमा और उस घटना के बारे में लोगों की उत्सुकता बढ़ी है।
पानी पीने के मामले से फूटी थी विद्रोह की ज्वाला
अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय सैनिकों को काली पलटन कहा जाता था। मेरठ में भगवान शिव के औघड़नाथ मंदिर के के पास छावनी थी। वहां काली पलटन रहा करती थी। इस कारण मंदिर का नाम काली पलटन मंदिर के नाम से भी पुकारा जाने लगा। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय सैनिक औघड़नाथ मंदिर में पानी पीने आते थे। एक बार मंदिर के पुजारियों ने भारतीय सैनिकों को मंदिर परिसर के कुएं से पानी पीने से रोक दिया। सैनिकों ने कारण पूछा तो पुजारियों ने कहा कि वे जिन कारतूसों का इस्तेमाल करते हैं, उसमें गाय की चर्बी मिली होती है। इसी के बाद भारतीय सैनिकों में विद्रोह की ज्वाला भड़की और 1857 की क्रांति की शुरुआत हुई। इसी साल मंगल पांडेय को बगावत के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी की सजा दे दी थी।
सीएम योगी ने ऐसे किया याद
सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगल पांडेय को उनकी जयंती के मौके पर याद किया। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अग्रदूत, कुशल संगठनकर्ता और अपने अतुल्य बलिदान से पूरे राष्ट्र में स्वाधीनता की अलख जगाने वाले महान क्रांतिवीर मंगल पांडेय को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। इससे पहले 10 मई को आयोजित क्रांति दिवस कार्यक्रम में मेरठ में शामिल हुए सीएम योगी ने देश की आजादी के परवानों में मंगल पांडेय को उच्च स्थान पर रखा था। 1857 की क्रांति पर बनी डॉक्यूमेंट्री और लाइट एंड साउंड शो के दौरान सीएम की आंखें नम हो गई थी।
बलिया में निकली प्रभात फेरी
बलिया में प्रभात फेरी निकाल कर क्षेत्र के नायक को याद किया गया। बलिया के नगवां गांव में 19 जुलाई 1827 को हुआ था। 22 साल की आयु में वर्ष 1849 में वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में बंगाल नेटिव इन्फ्रेंट्री की 34वीं बटालियन में शामिल किए गए थे। सिपाही विद्रोह के आरोप में उन्हें बैरकपुर में 8 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा दे दी गई। उनकी याद में निकली प्रभात फेरी में जमकर देशभक्ति नारे लगे। इस मौके पर कलाकार मंगल पांडेय की वेशभूषा में नजर आए।
-एजेंसी