अस्वच्छता की वजह से होने वाली एक बीमारी है पिनवॉर्म इन्फेक्शन

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आंतों में पाए जाने वाले परजीवी जिसे पिनवॉर्म या थ्रेडवर्म कहते हैं, बच्चों में होने वाली आंतों की बीमारी का प्रमुख कारण बनते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 270 मिलियन से अधिक प्री-स्कूल और 600 मिलियन स्कूली बच्चों में यह परजीवी बड़ी तेजी से फैलते हैं। ऐसा माना जाता है कि आंतों की यह बीमारी भीड़-भाड़ में और परिवार के सदस्यों में से ही एक दूसरे को लगती है। ऐसे बच्चे जिनके परिवार के सदस्य मिट्टी से संबंधित कार्य करते हैं, उनमें इस बीमारी के फैलने के चांसेस ज्यादा होते हैं। 5 साल से छोटे बच्चों को इस बीमारी का खतरा बना रहता है।

पिनवॉर्म क्या है

पिनवॉर्म सफेद धागे जैसा एक परजीवी कीड़ा होता है। धागे की तरह होने की वजह से इसे थ्रेडवर्म भी कहते हैं। इस परजीवी के प्राकृतिक होस्ट सिर्फ मनुष्य होते हैं। इसका मतलब यह बीमारी इंसानों से ही एक दूसरे को लगती है। इस परजीवी के पूंछ का आकार पिन की तरह होता है इसलिए इसे पिनवॉर्म नाम दिया गया है।

संक्रमण के कारण

इस बीमारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण होता है हाइजीन मेंटेन ना कर पाना जैसे कि शौच के बाद हाथ ना धोना, शारीरिक सफाई पर ध्यान ना देना, हाथों को अच्छी तरह साफ किए बिना मुंह तक ले जाना, प्रदूषित वातावरण जैसे गटर या सीवेज के आसपास रहना, यहां तक कि पालतू जानवर जैसे कि कुत्ते-बिल्लियों के बालों से भी इस संक्रमण के फैलने खतरा बना रहता है

पिनवार्म फैलता कैसे है?

एक पिनवॉर्म लगभग 1000 अंडे देता है। अस्वच्छ वातावरण या हाथ ना धोने की वजह से पिनवॉर्म या पिनवॉर्म के अंडे हमारे मुंह के अंदर चले जाते हैं, तब अंडों से लार्वा छोटी आंत की ओर चले जाते हैं और वयस्क पिनवॉर्म कोलन एरिया की ओर बढ़ जाते हैं। कोलन एरिया में यह पिनवॉर्म 2 महीने तक जिंदा रह सकते हैं और व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। वहीं लार्वा से जन्मे नए भ्रूण एनस एरिया की ओर होते हैं। शौच के बाद हाथ अच्छी तरह ना धोने या से यह बीमारी हाथों के द्वारा फैल जाती है।

संक्रमित हो जाने के लक्षण

पिनवॉर्म से संक्रमित हो जाने पर हमारे शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि एनल यानि की मलद्वार में खुजली, एनल में सूजन, हल्की मतली उल्टी, भूख में कमी, पेट दर्द, त्वचा में लाल चकत्ते निकल आना, खून में कमी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

उपचार

बच्चों में पिनवॉर्म इन्फेक्शन रोकने के लिए बच्चों के कपड़े रोजाना बदलें। उनका बिस्तर साफ-सुथरा हो। फर्श और बच्चों के खिलौने नियमित रूप से साफ किए जाएं। बच्चों के कपड़े और चादर गर्म पानी में धोएं साथ ही बच्चों को हाथ धोने की आदत डाली जाए।

पिनवॉर्म से संक्रमित बच्चों को कृमिनाशक दवाएं दी जाती हैं। इस बीमारी से बचने का सबसे सरल उपाय अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना होता है।

-एजेंसियां