LIC अधिनियम में बदलावों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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मद्रास उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक बीमा कंपनी LIC में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के लिए वित्त विधेयक एवं एलआईसी अधिनियम में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।

मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने एल पोनम्मल की तरफ से दायर एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एलआईसी अधिनियम में धन विधेयक के जरिये किए गए बदलाव में किसी भी तरह की असंवैधानिकता नहीं है।

पीठ ने कहा, “भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के लिए एलआईसी अधिनियम में धन विधेयक के जरिये बदलाव करने में संवैधानिक रूप से कुछ भी गलत नहीं है।”

एलआईसी की पॉलिसीधारक पोनम्मल ने अपनी याचिका में कहा था कि एलआईसी में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए अधिनियम में बदलाव करने के लिए धन विधेयक का गलत तरीका अपनाया गया था। उन्होंने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत धन विधेयक लाकर नियमों में बदलाव किए गए जबकि यह धन विधेयक की परिभाषा में ही नहीं आता है।

पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि इस बारे में लाए गए विधेयक को धन विधेयक के रूप में पेश किए जाने की लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से दी गई स्वीकृति को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय ही अंतिम रूप से मान्य होगा।

केंद्र सरकार एलआईसी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने के लिए आईपीओ लाने की तैयारी में है। इसक लिए उसने बाजार नियामक सेबी के समक्ष आईपीओ से संबंधित मसौदा भी पेश किया है।

सरकार को इस हिस्सेदारी बिक्री से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाने की उम्मीद है।

-एजेंसियां