कल्पना कीजिए आप ऐसे पिकअप ट्रक पर सवार हैं जिसका सिस्टम ड्राइविंग करता है। गाड़ी धीमी करने, रफ्तार बढ़ाने, ब्रेक लगाने और स्टीयरिंग व्हील संभालने वाले काम निपटाता है। फिर भी, यह ट्रक पूरी तरह ड्राइवर के बिना नहीं चलता है। ट्रक के इंफ्रारेड कैमरे की नजर ड्राइवर पर रहती है। अगर आपकी निगाह सड़क से कुछ देर के लिए हटी तो स्टीयरिंग व्हील पर नीली एलइडी लाइट जलेगी।
अगर आप अनदेखी करेंगे तो लाल फ्लैश चमकेगी। सिस्टम बंद होकर गाड़ी हाथ से चलाने के मोड पर आ जाएगी। टेस्ला की ड्राइवरविहीन कारों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अमेरिका में रोबोटिक कारों पर लोगों का भरोसा कम हुआ है। इसलिए ड्राइवर की मदद करने वाले सिस्टम भविष्य में कारों का हिस्सा हो सकते हैं।
जनरल मोटर्स ने अपने सुपर क्रूज सिस्टम के साथ आंशिक ऑटोनोमस टेक्नोलॉजी के मामले में बाजी मार ली है लेकिन वह अकेली नहीं है। फोर्ड, बीएमडब्लू, मर्सिडीज बेंज जैसी कंपनियां भी ऐसे सिस्टम बनाने का प्रयास कर रही हैं। सुपर क्रूज में 3-डी लेसर से स्कैन रोडमैप, कैमरे, राडार और जीपीएस है। इस वर्ष के अंत तक कंपनी अपने सिस्टम के नेटवर्क का विस्तार लगभग छह लाख किलोमीटर लंबे हाईवे पर करने का इरादा रखती है। इस तरह अमेरिका के कुछ हाईवे पर हाथों के बगैर कार चलाना संभव हो जाएगा। जर्मनी में मर्सिडीज ने अपने नए ड्राइव पायलट के साथ ड्राइवर के कई काम आसान कर दिए हैं। इसके तहत ड्राइवर के लिए मेल चेक करने और फिल्म देखने की भी कानूनी तौर पर अनुमति रहेगी। यह सिस्टम ड्राइवर पर नजर रखेगा और बताएगा कि स्टीयरिंग व्हील कब संभालना है।
रोबोट टैक्सियां
ड्राइविंग में मदद करने वाले आधुनिक सिस्टम आने के बावजूद कार कंपनियों ने ऑटोनोमस कारों का सपना नहीं छोड़ा है। टेस्ला के अलावा जनरल मोटर्स का क्रूज डिवीजन, अल्फाबेट का वायमो और आर्गो एआई मियामी, आस्टिन, टैक्सास सहित अन्य शहरों में रोबोट टैक्सियों का टेस्ट कर रहे हैं। इनके सुरक्षा पहलू पर मानव नजर रखेंगे। क्रूज ने सैनफ्रांसिस्को में रोबोट टैक्सियां शुरू कर दी हैं। दुबई में अगले वर्ष ऐसी टैक्सी चलाने की योजना है।
-एजेंसी