कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए 17 अक्टूबर को चुनाव होना है लेकिन इससे पहले पार्टी के कुछ सांसदों और बड़े नेताओं ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए मतदान करने वाले प्रतिनिधियों की सूची सार्वजनिक करने की मांग की है.
पार्टी ने इस मांग को ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया है कि आज तक ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है.
पार्टी की चुनाव समिति के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने कहा है कि इलेक्टोरल कॉलेज में शामिल प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रतिनिधियों की लिस्ट को पार्टी मुख्यालय में देखा जा सकता है और ये सूची उम्मीदवारों को भी उपलब्ध करवाई जाएगी.
पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी लिस्ट प्रकाशित करने की मांग को ख़ारिज करते हुए कहा, “ये पार्टी की अंदरूनी प्रक्रिया है और इसे सबके देखने के लिए नहीं छापा जाना चाहिए. ऐसा पहले भी नहीं हुआ. और हम उसी प्रथा का पालन करेंगे.”
बीते रविवार को हुई कांग्रेस कार्यकारिणी (सीडब्लूसी) की बैठक के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा भी ये मांग कर चुके हैं.
इसके बाद मनीष तिवारी ने बुधवार को कहा कि ‘निष्पक्ष चुनाव’ के हित में यही है कि मतदाता सूची जारी की जाए. ऐसा करने से संभावित उम्मीदवारों को भी मदद मिलेगी, जिन्हें नामांकन दाखिल करने के लिए 10 प्रस्तावकों की ज़रूरत होती है. ये मांग करने के बाद मनीष तिवारी को शशि थरूर और वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम का भी साथ मिला है.
सोनिया गांधी के सामने खड़े थे जितेंद्र प्रसाद
दरअसल, 22 साल पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े हुए थे. उस समय जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था.
जितेंद्र प्रसाद के खेमे का आरोप था कि उनके नामांकन दाखिल करने से पहले और बाद में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों की सूची से छेड़छाड़ की गई थी. उनके समर्थकों ने ये भी आरोप लगाया था कि सूची में फ़र्ज़ी नाम थे और उन्हें डेलीगेट्स का पता तक नहीं बताया गया, जिससे वह अपने लिए समर्थन जुटाने में सफल नहीं हुए.
यहां तक कि प्रसाद ने पार्टी में चुनाव देखने वाली इकाई सीईए को पत्र लिखकर कांग्रेस डेलीगेट्स की सूची जारी करने में विफल रहने को लेकर सवाल खड़े किए थे.
एक बार फिर से पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने यही आरोप लगाया है.
कांग्रेस के ‘जी-23’ गुट के नेता और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने सवाल किया, “मतदाता सूची जारी किए बिना चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी कैसे हो सकता है.” उन्होंने कहा कि मतदाताओं के नाम और पता पार्टी की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीके से डाला जाना चाहिए.
कांग्रेस के संगठन चुनाव प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री ने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस डेलीगेट्स की सूची राज्यों में पार्टी मुख्यालय पर देखी जा सकती है. उन्होंने ये भी कहा है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को सूची सौंपी जाएगी.
हालाँकि, इस पर मनीष तिवारी ने सवाल किया है कि अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए क्या राज्यों में भटकना होगा.
शशि थरूर ने कहा, “मुझे लगता है ये ज़रूरी है…सबको ये पता होना चाहिए कि कौन नामांकित कर सकता है और कौन वोट कर सकता है. इसमें कुछ गलत नहीं है.” कार्ति चिदंबरम ने पार्टी में सुधार की मांग करने वालों का बचाव करते हुए लिखा है, “हर चुनाव में एक स्पष्ट मतदाता सूची होनी चाहिए. एक अनौपचारिक सूची वास्तव में सूची नहीं होती.”
मनीष तिवारी की ओर से ये मांग ऐसे समय में की गई है जब बीते रविवार ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और उनके जी-23 समहू के सहयोगी आनंद शर्मा ने भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में यही मसला उठाया था. इस बैठक में ही कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की तारीखें तय की गई हैं. आनंद शर्मा ने तर्क दिया ता कि करीब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के करीब 9 हज़ार डेलीगेट्स को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. बता दें कि प्रदेश कांग्रेस के करीब 9 हज़ार नेता ही अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान करेंगे.
-एजेंसी
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