उड़िया फिल्‍म दमन रिलीज, क्षेत्रीय सिनेमा की हिंदी में दमदार दस्तक

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फिल्म ‘दृश्यम 2’ की सफलता के बीच निर्माता कुमार मंगत पाठक ने ये फिल्म हिंदी में रिलीज की है और इसके लिए वह साधुवाद के हकदार हैं। फिल्म की तरफ पहला ध्यान दर्शकों का तभी गया था जब अजय देवगन ने इसका हिंदी ट्रेलर बीते महीने रिलीज किया था।

फिल्म ‘दमन’ का पूरा दारोमदार इसकी कहानी पर टिका है और इस मामले में विशाल मौर्य ने फिल्म के निर्देशक देवी प्रसाद लेंका के साथ मिलकर अच्छा काम किया है। कहानी एक युवा डॉक्टर की है जिसे एमबीबीएस पूरा करने के बाद ओडिशा में मल्कानगिरी जिले के एक गांव में भेजा जाता है। डॉक्टर को गांव में जाकर वहां के लोगों की सेवा करनी है और ये काम वह इसलिए कर रहा है क्योंकि ये अनिवार्य है। मानसिकता अब यही है कि एक डॉक्टर बनने के बाद हर युवा शहर में अपना आलीशान क्लीनिक खोलना चाहता है। खूब पैसे कमाना चाहता है और जिस सेवाभाव को लेकर उसने कभी डॉक्टर बनने का सपना देखा था, वह जीवन के 8-10 साल ये डिग्री हासिल करने में खपाने के बाद कहीं हाशिये पर जा चुका है।

फिल्म ‘दमन’ एक तरह से बदलते भारत की सच्ची तस्वीर दिखाती है। फिल्म दिखाती है कि देश के गांव अब भी किन हालात में हैं। शुरुआत में ही फिल्म के निर्देशक प्रसाद लंका देवी कहानी का कलेवर स्पष्ट करने में सफल करने में सफल रहते हैं। गांव किसी भी पिछड़े इलाके के गांव जैसा है। नागरिक सुविधाओं का नामोनिशान तक नहीं है। यहां पहुंचा डॉक्टर एक दिन के भीतर ही इस्तीफा देकर वापस भुवनेश्वर जाना चाहता है लेकिन फिर उसका मन बदलता है और वह तय करता है कि उसे बदलाव का साधन बनना ही होगा। फिल्म की कहानी यहीं से अपनी पकड़ बनानी शुरू करती है। झाड़ फूंक में यकीन करने वाले गांव वालों के बीच काम करना और उनकी सोच बदलना ही अब उसका मकसद है। और, अपने सहयोगियों की मदद से जो कुछ वह करता है, वह किस क्रांति से कम नहीं है।

फिल्म ‘दमन’ देश के इसी संकल्प के प्रति समर्पित लोगों की कहानी है। फिल्म का नाम ‘दमन’ इसलिए है क्योंकि ये कहानी मलेरिया के दमन की है। फॉर्मूला फिल्मों से दूर दर्शकों के आसपास की दुनिया में झांकती ये फिल्म अपने सामाजिक सरोकारों को पूरा करने में सौ फीसदी सफल है।

Compiled: up18 News