आगरा। भारतीय वन्यजीव संस्थान (वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया – डब्ल्यू.आई.आई) और प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीज़न, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार आगरा में वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से हाथियों के प्रबंधन, रख-रखाव और स्वास्थ्य पहलुओं पर आगरा में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित कर रहा है।
आगरा के रैडिसन होटल में 12 से 14 फरवरी, 2022 तक आयोजित कार्यशाला उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस के सहयोग से भारतीय वन्यजीव संस्थान (वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया– डब्ल्यू.आई.आई) और प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीज़न, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की अनोखी पहल है।
हाथी रिजर्व में और उसके आसपास कार्यरत 24 पशु चिकित्सा अधिकारी 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रहे हैं। इसका उद्देश्य पशु चिकित्सा अधिकारियों के कौशल को बढ़ाना और हाथियों के व्यवहार, उचित रख-रखाव और हाथियों की स्वास्थ्य देखभाल, हाथियों में होने वाली बीमारियाँ और उनका इलाज, और ट्रांसपोर्टेशन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर उन्हें संवेदनशील बनाना है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता मुख्य अतिथि ममता संजीव दुबे, आईएफएस, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और हेड ऑफ़ फारेस्ट फोर्सेज (एचओएफएफ), उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गयी। साथ में रमेश के पांडे, आईएफएस, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ फारेस्ट (प्रोजेक्ट एलीफैंट) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. के. मुथामिज़ सेलवन, साइंटिस्ट-डी, प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीजन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, डॉ पराग निगम, हेड, डिपार्टमेंट ऑफ़ वाइल्डलाइफ हेल्थ मैनेजमेंट, एलीफैंट सेल, कार्तिक सत्यनारायण, सह-संस्थापक और सीईओ – वाइल्डलाइफ एसओएस, डॉ धनंजय मोहन, आईएफएस, डायरेक्टर, वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, सी.पी. गोयल, आईएफएस, डायरेक्टर जनरल ऑफ़ फारेस्ट और स्पेशल सेक्रेटरी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस, और डॉ. के.के. सरमा, प्रोफेसर एंड हेड, डिपार्टमेंट ऑफ़ वेटरनरी सर्जरी, गुवाहाटी वेटरनरी कॉलेज, असम भी शामिल रहे।
कार्यशाला को सत्रों में विभाजित किया गया है, जिसकी मेजबानी पूरे भारत के वन्यजीव पशु चिकित्सा विशेषज्ञों, वन्यजीव वैज्ञानिकों, बायोलॉजिस्ट और ईकोलॉजिस्ट द्वारा की जाएगी, जिन्होंने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है।
हाथी प्रबंधन की कार्यशाला में, पशु चिकित्सा अधिकारी मथुरा में वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा स्थापित हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र और हाथी अस्पताल परिसर में एक फील्ड डेमोंसट्रेशन में भी भाग लेंगे। ये केंद्र फिलहाल में 29 हाथियों का घर हैं, जिन्हें अत्यधिक तनावपूर्ण परिस्थितियों से बचाया गया है, जैसे सड़कों और बारातों में भीख मांगना, सर्कस में प्रदर्शन करना और पर्यटकों की सवारी देना आदि। वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी देखभाल टीम के साथ डब्ल्यू.आई.आई के डॉ पराग निगम और डॉ ए.बी. श्रीवास्तव, पूर्व निदेशक, स्कूल ऑफ़ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ, एन.डी.वी.एस.यू, जबलपुर, हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में पॉजिटिव कंडीशनिंग और टारगेट ट्रेनिंग जैसी वैज्ञानिक और मानवीय हाथी प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन करेंगे।
श्रीमती ममता संजीव दुबे, आईएफएस, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और हेड ऑफ़ फारेस्ट फोर्सेज (एचओएफएफ) ने कहा, “यह एक बहुत ही सुखद अनुभव है कि डब्ल्यूआईआई हाथियों के रोग प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने वाले पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए इस कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। हाथी इंसानों से बहुत करीब से जुड़े हुए हैं। विशेष रूप से भारत में जहां वे हमारी लोककथाओं के साथ-साथ हमारी प्राचीन संस्कृति, युद्ध और दैनिक जीवन का हिस्सा हैं।
रमेश के पांडे, आईएफएस, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ फारेस्ट (प्रोजेक्ट एलीफैंट), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, ने कहा, “यह कार्यशाला पशु चिकित्सा अधिकारियों को अपने विचारों को प्रसारित करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगी; न केवल हाथियों की बीमारियों, देखभाल और स्वास्थ्य के मुद्दों पर उचित शिक्षा हासिल करने में बल्कि मानव-हाथी संघर्षों को कम करने और उनका सामना करने के अनुभवों को सीखने में भी।”
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ और सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “हम भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और प्रोजेक्ट एलीफेंट डिवीजन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ इस प्रशिक्षण कार्यशाला के आयोजन के लिए बेहद खुश हैं। इस तरह की कार्यशालाएं वन्यजीव और उनके स्वास्थ प्रबंधन, और तकनीकी क्षेत्र की विशेषज्ञता को बेहतर बनाने में काफी हद तक योगदान दे सकती हैं। “
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, “यह कार्यशाला देश भर से हमारे साथ जुड़ने वाले पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए बहुत अच्छा अनुभव प्रदान करेगी। वाइल्डलाइफ एसओएस, हमारे हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के इस अवसर के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीज़न के आभारी है।