ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाले प्लेटफॉर्म्स ने एक बार फिर अपनी प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ा दिया है. अब ये 5 रुपए हो गई है. अब देखना ये है कि क्या सिर्फ जोमैटो की कमाई बढ़ेगी या असल में आपकी जेब पर डाका डलेगा. वहीं जोमैटो के मुकाबले क्या स्विगी से खाना मंगाना सस्ता पडे़गा? चलिए समझते हैं कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी असल में आपको कितनी महंगी पड़ने वाली है?
प्लेटफॉर्म फीस या कंविनियंस फीस, इसे वसूलने से पहले देश में मौजूद अधिकतर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म घाटे में चल रहे थे. सबसे पहले पेटीएम और फोनपे जैसे डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स ने मोबाइल रिचार्ज से लेकर अन्य सर्विसेस के इस्तेमाल के लिए 2 रुपए तक की प्लेटफॉर्म फीस लेना शुरू किया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि ग्राहक कंपनी की टेक्नोलॉजिकल सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए ये एक तरह का सुविधा शुल्क (कंविनियंस फीस) है.
इसका असर जल्द ही इन कंपनियों की बैलेंस शीट पर दिखने लगा. कंपनियां बहुत ज्यादा प्रॉफिट भले ना कमा पाई हों, लेकिन उनका घाटा नीचे आने लगा. इसे देखते हुए जोमैटो और स्विगी जैसे ऐप्स ने भी प्लेटफॉर्म फीस लेना शुरू कर दिया. कंपनियों के लिए ये सीधे ग्राहक से होने वाली कमाई है, क्योंकि इसमें बीच में कोई भागीदार नहीं. जबकि इसके अलावा रेस्टोरेंट पार्टनर, डिलीवरी बॉयज से कमीशन से कंपनी की और इनकम होती है.
– एजेंसी
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