खनन मंत्रालय ने महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की पहली किस्त की नीलामी शुरू कर दी है। केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पहली बार महत्वपूर्ण खनिज नीलामी प्रक्रिया शुरू की। पहली किस्त में देशभर में फैले महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के 20 ब्लॉकों की नीलामी की जा रही है। यह एक ऐतिहासिक पहल है जो हमारी अर्थव्यवस्था को तो बढ़ावा देगी ही, राष्ट्रीय सुरक्षा को भी बढ़ाएगी। साथ ही, इससे स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य में हमारे कदम मजबूत होंगे।
24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की पहचान
भारत सरकार ने बीते 17 अगस्त को खान एवं खनिज (विकास एवं नियामक) कानून जिसे (एमएमडीआर एक्ट) के रूप में जाता है, में एक संशोधन किया था। यह संशोधन भविष्य में सप्लाई चेन को भारत के पक्ष में झुकाने की दिशा में बड़ी पहलों की श्रृंखला की प्रमुख पहली थी। सरकार ने इस संशोधन के जरिए 24 खनिजों को ‘महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों’ के रूप में नोटिफाइ किया था। संशोधन में इन खनिजों की खनिज रियायत देने की शक्ति केंद्र सरकार को दी की गई है ताकि केंद्र सरकार देश की आवश्यकताओं को देखते हुए इन खनिजों की नीलामी को प्राथमिकता दे सके।
➤ देश के आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खनिज आवश्यक हैं।
➤ इन खनिजों की उपलब्धता में कमी या कुछ खास देशों का आधिपत्य सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है।
➤ कुछ खास और आरआरई जैसी खनिजों पर निर्भर करेंगी वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देने वाली भविष्य की तकनीकें।
➤ 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से संचित विद्युत उत्पादन क्षमता का 50% हासिल करने को प्रतिबद्ध है भारत।
➤ इसके लिए इलेक्ट्रिक कारों, पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं और बैटरी भंडारण प्रणालियों की मांग बढ़नी तय है।
➤ इन बातों के मद्देनजर महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की मांग भी बढ़ जाएगी।
क्यों दूरदर्शी है मोदी सरकार का यह फैसला, जानिए
देश में महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों की मांग बहुत ज्यादा है और आमतौर पर इसकी पूर्ति आयात से की जाती है। महत्वपूर्ण खनिज नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा, कृषि, दवा, उच्च तकनीक इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन, गीगाफैक्ट्रियों के निर्माण आदि जैसे क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करते हैं। यही वजह है भारत सरकार ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी इन महत्वपूर्ण खनिजों के खानों पर दृष्टि जमा दी है। हाल ही में सरकारी सूत्र ने बताया कि भारत, अर्जेंटीना में कुछ लिथियम ब्लॉकों को सुरक्षित करने के आखिरी चरण में है। सूत्र के मुताबिक, चिली सरकार के साथ भी लिथियम ब्लॉक सुरक्षित करने के लिए बातचीत चल रही है।
देश ही नहीं, विदेशों में खनिज भंडारों पर भी मोदी सरकार की नजर
दरअसल, लिथियम की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर भारत सरकार इसकी सप्लाई चेन सुरक्षित करने के तरीके तलाश रही है। इसी क्रम में विदेशों में खानों की खुदाई और उनसे निकले महत्वपूर्ण खनिजों की प्रोसेसिंग के लिए खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) की स्थापना वर्ष 2019 में की गई। इस संयुक्त उद्यम कंपनी की स्थापना तीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों- नैशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) और मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड की भागीदारी के साथ की गई। यह उद्यम विदेशों में रणनीतिक खनिजों की पहचान, अधिग्रहण, विकास और प्रसंस्करण का काम देखता है।
भारत, दुनिया के टॉप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जकों में से एक है, जो ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और चिली जैसे संसाधन संपन्न देशों में प्रमुख खनिजों को सुरक्षित करने के लिए विदेशी समझौते कर रहा है।
बहरहाल, खान मंत्रालय ने 20 में से चार खनिज ब्लॉक खनन पट्टे के लिए जबकि 16 खनिज ब्लॉकों को समग्र लाइसेंस के लिए चिन्हित किए हैं। सरकार ने टेंडर के लिए बोलियां मंगाई हैं। टेंडर भी के पेमेंट के बाद ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म प्रोवाइडर की वेबसाइट पर टेंडर डॉक्युमेंट खरीदने की अंतिम तिथि 16 जनवरी 2023 को शाम 5 बजे से पहले है और बोली जमा करने की अंतिम तिथि 22 जनवरी 2023 को शाम 5 बजे (भारतीय मानक समय) से पहले है। टेंडर डॉक्युमेंट की कीमत 3 लाख रुपये और जीएसटी है। जीएसटी रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत देय है।
Compiled: up18 News
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