ओम बिरला ने कहा, कोई अध्यक्ष नहीं चाहता है कि सदस्यों का निलंबन हो

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उन्होंने संसद और विधानसभाओं की घटती बैठकों पर भी चिंता जताई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत मंत्रिमंडल के अधिकतर सदस्य उपस्थित थे।

दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम

विधानसभा के मानसरोवर सभागार में आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को लोकसभा अध्यक्ष ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जनता बड़ी अपेक्षा से जनप्रतिनिधि चुनकर संसद या विधानसभाओं में भेजती है। लोकतंत्र हमारी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक ताने-बाने में है। जिस तरीके से हमारे यहां निष्पक्षता से चुनाव कराए जाते हैं, उस पर पूरी दुनिया आश्चर्य करती है। वर्ष 2001 में सभी विधानसभाओं के अध्यक्ष और दलों के नेताओं ने सदन की बैठकें कम होने और गिरती गरिमा पर चिंता जताई थी।

प्रत्येक पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में सत्र की बैठकें बढ़ाने पर चर्चा होती है। सदन सुचारू ढंच से चले, इसकी जिम्मेदारी पक्ष और प्रतिपक्ष, दोनों की है। जितने अधिक सत्र होंगे, उतनी पारदर्शिता सरकार में आएगी। सदन में कानून बनते हैं, कानून सही हो तो विपक्ष को इसमें सहयोग देना चाहिए। इनको लेकर सार्थक बहस होना चाहिए। उन्होंने पत्रकारवार्ता में सदस्यों के निलंबन पर कहा कि कोई अध्यक्ष नहीं चाहता है कि निलंबन हो पर सदन की गरिमा और मर्यादा बनाकर रखना भी जरूरी है।

सदन में बात रखते समय जोश दिखे पर वह होश से नियंत्रित हो

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज चलन सदन में चिल्लाकर बोलने का हो गया है। यह समझा जाता है कि इससे लोग उन्हें अच्छा समझेंगे। सदन में बात रखते समय जोश दिखना चाहिए पर वह होश से नियंत्रित हो। उन्होंने मंच से ही मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव से अनुरोध किया कि ई-विधान परियोजना को मंजूरी दी जाए और विधायक विश्रामगृह पुराना हो चुका है।

-एजेंसी