वेस्ट बैंक के शहर हेब्रोन में पवित्र कुरान जलाने की OIC द्वारा कड़ी निंदा

INTERNATIONAL

शहर में एक मस्जिद के पास सोमवार को इसराइली बस्ती में रहने वाले लोगों ने मुसलमानों के पवित्र ग्रंथ क़ुरान की प्रतियाँ फाड़ी और जलाई थीं.

मिस्र की सबसे बड़े धार्मिक संस्थान अल-अजहर अल-शरीफ़ ने इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी ज़िम्मेदार बताया. वहीं, इस्लामिक देशों के संगठन (आईआईसी) ने भी कुरान जलाने के ख़िलाफ़ कड़ा बयान जारी किया.

अल-अजहर अल-शरीफ़ ने कहा, ”पवित्र क़ुरान को जलाना ज़ायोनीवाद की बर्बरता, आतंकवाद और घृणित नस्लवाद को दिखाता है. ये अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अस्वीकार्य चुप्पी के तहत हो रहा है.”

ओआईसी ने कहा, “ओआईसी का महासचिवालय कट्टरपंथियों के इब्राहिमी मस्जिद में पवित्र क़ुरान की कॉपियों को फाड़ने और जलाने की कड़ी निंदा करता है.”

द सियासत डेली के मुताबिक फ़लस्तीनी समाचार एजेंसी वाफ़ा को हेब्रोन एंडोमेंट के निदेशक निदल अल-जाबरी ने बताया कि इसराइल की बस्ती में रहने वाले लोगों ने कुरान की कई कॉपियां जलाईं और उन्हें इब्राहिमी मस्जिद के पास कचरे में फेंक दिया.

उन्होंने बताया कि कुरान की सात कॉपियां कचरे में फटी हुई मिलीं, उनमें से एक जलाई गई थी. इससे पहले बस्ती के लोगों ने इब्राहिमी मस्जिद और उसके आसपास के घरों पर हमला किया था.

यरुशलम के ग्रैंड मुफ़्ती और अल-अक्सा मस्जिद के मौलवी शेख मोहम्मद हुसैन ने भी क़ुरान जलाने का विरोध किया है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि ये घृणित कार्य इस्लाम के ख़िलाफ़ नस्लवादी व्यवहार को दिखाता है. ये लोगों में नफ़रत और हिंसा को भड़काएगा और तनाव को बढ़ावा देगा. उन्होंने ऐसे हमलों पर रोक लगाने की अपील की.

फ़लस्तीन के न्यायाधीश महमूद अल-हब्बाश ने कहा कि ये क्रूर कदम और इस्लाम के ख़िलाफ़ लड़ाई दुनियाभर में दो अरब मुसलमानों की भावनाओं पर जबरदस्त हमला है और उन्हें अपमानित करना है.

कुरान जलाने की घटना के जवाब में हेब्रों की केतुन मस्जिद में सोमवार को प्रार्थना के लिए लोगों को बुलाया गया. इसके लिए ट्वीटर पर सार्वजनिक न्योता दिया गया.

-एजेंसी