अमेरिका के अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इसकी वजह यह है कि उनके सपोर्ट वाली संस्था ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस (OSF) दुनियाभर में अपने ऑफिस बंद कर रही है। साथ ही 40 परसेंट स्टाफ को निकालने की भी तैयारी चल रही है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक फाउंडेशन अफ्रीका में करीब आधे दर्जन ऑफिस बंद कर रहा है। इसके साथ ही उसकी बाल्टीमोर और बार्सिलोना में भी ऑफिस बंद करने की योजना है। फाउंडेशन का कहना है कि उसके पास छोटे ऑफिस चलाने के लिए बैंडविड्थ नहीं है। आदिस अबाबा, कंपाला, केपटाउन, किंशासा, अबूजा और फ्रीटाउन में फाउंडेशन के ऑफिस बंद किए जा रहे हैं। ओएसएफ की कमान अब सोरोस के 37 साल के बेटे एलेक्स सोरोस के हाथों में है। उन्होंने दिसंबर में इसका चेयरमैन बनाया गया था। तीन साल में दूसरी बार इस नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन का पुनर्गठन किया जा रहा है।
92 साल के सोरोस की पहचान एक ऐसे शख्स की रही है जो दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए अपना एजेंडा चलाता है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का भी धुर आचोलक माना जाता है। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। सोरोस ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और नागरिकता संसोधन कानून का भी खुलकर विरोध किया था। उनके सपोर्ट वाली नॉन प्रॉफिट मीडिया संस्था OCCRP ने हाल में भारतीय अरबपति कारोबारी गौतम अडानी और अनिल अग्रवाल पर भी आरोप लगाए गए थे।
कौन है जॉर्ज सोरोस
सोरोस अमेरिका के बड़े कारोबारियों में से एक हैं लेकिन उनकी छवि काफी विवादित रही है। वह सटोरिए, निवेशक और कारोबारी हैं लेकिन खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता कहलाना पसंद करते हैं। उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहता है। आरोप है कि उन्होंने कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के लिए खुलकर भारी-भरकम फंडिंग की है। यूरोप और अरब के कई देशों में सोरोस की संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाकर पाबंदी लगा दी गई है। आरोप है कि सोरोस दुनिया कई देशों में कारोबार और समाजसेवा की आड़ में पैसे के जोर पर वहां की राजनीति में दखल देते हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने जब जनवरी में अडानी के खिलाफ रिपोर्ट जारी की थी तो सोरोस काफी मुखर हो गए थे। उन्होंने कहा कि अडानी का पीएम मोदी के साथ इतना घनिष्ठ संबंध है कि दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी हो गए हैं। सोरोस ने तब कहा था, ‘इस मुद्दे पर मोदी चुप हैं लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद के सवालों का जवाब देना पड़ेगा। इससे केंद्र सरकार पर मोदी की पकड़ ढीली होगी और संस्थागत सुधारों के दरवाजे खुलेंगे।’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोरोस ने दुनियाभर में कई मीडिया कंपनियों में निवेश किया है। अमेरिका के मीडिया वॉचडॉग मीडिया रिसर्च सेंटर की मानें तो सोरोस ने 180 से अधिक मीडिया ऑर्गेनाइजेशंस को स्पॉन्सर किया है।
Compiled: up18 News