अब पतंजलि के माफीनामे वाले विज्ञापन का साइज देखना चाहता है सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की ओर अर्जी दाखिल कर पतंजलि के खिलाफ वेक्सिनेशन अभियान और मॉडर्न मेडिसिन के खिलाफ मुहीम चालने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण की ओर से बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पब्लिक में माफी मांगने की बात कही थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इसके लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पिछले विज्ञापन में की गई गलती और प्रेस कॉन्फ्रेंस के संदर्भ में सोमवार को कुछ न्यूजपेपर में विज्ञापन देकर माफी मांगी गई है।

पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने इस बारे में कोर्ट को अवगत कराया। इस दौरान पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण और योगगुरु रामदेव दोनों ही कोर्ट में मौजूद थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या पहले जो विज्ञापन आपने दिया था उसी साइज के विज्ञापन में आपका माफीनामा है?

रोहतगी ने कहा कि 67 पब्लिकेशन में विज्ञापन दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि विज्ञापन की कटिंग व संबंधित रेकॉर्ड कोर्ट के सामने दो दिनों में पेश करें। हम असल साइज देखना चाहते हैं कि कितना बड़ा विज्ञापन है। फोटोकॉपी से साइज बड़ा हो सकता है और वह हमें गवारा नहीं होगा। हम असल साइज देखना चाहते हैं कि कितना बड़ा विज्ञापन का साइज है। अगर आप माफीनामा देते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम उसे माइक्रोस्कोप से देखें।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुमराह करने वाले हेल्थ के दावों से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान दिया और कहा कि हम इस व्यापक मुद्दे को देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियां कई गुमराह करने वाले हेल्थ संबंधित दावे करती है हम उसे देखेंगे। कोर्ट ने उपभोक्ता मामले और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया है।

बेंच ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा है। केंद्र के आयुष मंत्रालय ने लेटर जारी कर राज्यों से कहा है कि वह आयुष उत्पाद के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 के नियम 170 के तहत एक्शन ना लें। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।

क्या है यह पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की ओर अर्जी दाखिल कर पतंजलि के खिलाफ वेक्सिनेशन अभियान और मॉडर्न मेडिसिन के खिलाफ मुहिम चालने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण की ओर से बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा था कि जब हमने रामदेव और बालकृष्ण को पेश होने के लिए कहा था तो उन्होंने उससे भी बचने की कोशिश की थी। बाद में रामदेव और बालकृष्ण को इस बात की इजाजत दी थी कि वह मामले में पब्लिक में माफीनामा पेश करें।

-एजेंसी