केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिए ना बोलना अब IPS अफसरों को पड़ेगा महंगा

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केंद्रीय प्रतिनियुक्ति ‘आईपीएस कार्यकाल नीति’ के तहत

गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद-312 के तहत प्रावधान किया गया है कि आईपीएस, संघ और राज्य, दोनों के लिए एक अखिल भारतीय सेवा है। केंद्र सरकार के विभिन्न पुलिस और अन्य संगठनों/विभागों में एक निश्चित संख्या में पदों को विभिन्न राज्य संवर्गों को आवंटित आईपीएस अधिकारियों द्वारा भरा जाता है।

आईपीएस (संवर्ग) नियमावली 1954, के नियम 6 (1) के अंतर्गत आईपीएस अफसरों की केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति किए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके बाद गृह मंत्रालय, आईपीएस के लिए संवर्ग नियंत्रण प्राधिकारी होने के नाते, प्रत्येक वर्ष में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए सभी राज्य सरकारों/संवर्गों से उनके लिए निर्धारित केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व (सीडीआर) कोटा के मुताबिक अनुरोध करता है।

आईपीएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति ‘आईपीएस कार्यकाल नीति’ के अंतर्गत शासित होती है। उक्त नीति के पैरा-17 के अनुसार कोई अधिकारी, जिसे केंद्र सरकार के तहत किसी पद पर नियुक्ति के लिए अनुमोदित किया जाता है। यदि कोई आईपीएस अपनी नियुक्ति लेने में विफल रहता है तो उसे पांच वर्ष की अवधि के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति और विदेश में नियुक्ति से वंचित कर दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तीन मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार विभिन्न केंद्रीय सुरक्षा बलों, आयोगों और जांच एवं खुफिया एजेंसियों में डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 255 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 77 पद खाली हैं। इससे पहले खाली पदों की यह संख्या 120 से 186 के बीच रही है।

गत वर्ष समाप्त कर दी गई थी पैनल प्रक्रिया

विशेषकर आईपीएस डीआईजी, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने का मन नहीं बना पा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक कमेटी ने सुझाव दिया था कि इन अधिकारियों के लिए पैनल प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाए। इसके पूरा होने में काफी समय लगता है। सरकार के इस कदम का मकसद, केंद्र में डीआईजी-रैंक के अधिकारियों की भारी कमी को दूर करना था। गत वर्ष उस सुझाव को कमेटी की मंजूरी मिल गई थी। सरकार का मानना है कि डीआईजी-रैंक के अधिकारियों के लिए पैनल सिस्टम को खत्म करने से अब प्रतिनियुक्ति पर अधिक आईपीएस केंद्र में आ सकेंगे।

मनोनयन प्रक्रिया पूरी होने में करीब एक साल लग जाता था। केंद्र ने ‘अखिल भारतीय सेवा’ नियमों में संशोधन भी किया था। उसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार, आईएएस व आईपीएस अधिकारी को राज्य की अनुमति या बिना अनुमति के भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला सकती है।

डीआईजी के पद पर क्यों नहीं आना चाहते आईपीएस

जानकारों का कहना है कि राज्य पुलिस से डीआईजी या एसपी, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए तैयार नहीं होते। इसकी एक बड़ी वजह रही है। वह है कि उन्हें यहां पर पोस्टिंग में च्वाइस नहीं मिलती। जब मन मुताबिक पोस्टिंग नहीं मिलती तो वे क्यों आएंगे। मौजूदा समय में स्टेट पुलिस में डीआईजी का ज्यादा रोल नहीं बचा है। अब तो कई राज्यों में आईएएस के पदों पर भी आईपीएस लगाए जाने लगे हैं।

सबसे खराब स्थिति सीएपीएफ में है। यहां तो डीआईजी के लगभग 70 फीसदी पद रिक्त पड़े रहते थे। मजबूरन, आईपीएस डीआईजी के खाली पदों को कैडर अफसरों से भरा जाता रहा है। सीएपीएफ में डीआईजी की सख्त पोस्टिंग होती है, इसलिए वे प्रतिनियुक्ति पर नहीं आते। जो आते भी हैं, वे विभिन्न आयोगों में या मेट्रो सिटी में जिन एजेंसियों का कार्यालय है, वहां पोस्टिंग कराने में कामयाब हो जाते हैं।

मौजूदा समय में विभिन्न केंद्रीय सुरक्षा बलों, आयोगों और जांच एवं खुफिया एजेंसियों में डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 255 पद स्वीकृत हैं। इनमें से डीआईजी के 77 पद अभी खाली हैं। आईजी ‘आईपीएस’ के लिए 138 पद स्वीकृत हैं। इनमें से अभी 19 पद खाली पड़े हैं। केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर डीजी रैंक के लिए 15 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से अभी दो पद खाली हैं। एक पद बीएसएफ डीजी का और दूसरा एनपीए निदेशक का पद शामिल है।

एसडीजी ‘आईपीएस’ के लिए 10 पद मंजूर किए गए हैं, जिनमें से अभी दो पद रिक्त हैं। एडीजी ‘आईपीएस’ के 26 पद हैं। इनमें भी तीन पद खाली हैं। एसपी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत पदों की संख्या 225 है। इन पदों में से 113 पद रिक्त हैं। आईबी में डीआईजी के लिए स्वीकृत 63 पदों में से 38 पद खाली हैं, जबकि आईपीएस एसपी के लिए मंजूर 83 पदों में से 40 पद अभी रिक्त हैं।

साल 2020 में आईपीएस प्रतिनियुक्ति का कोटा

30 जुलाई 2020 की स्थिति के मुताबिक केंद्र में बतौर प्रतिनियुक्ति डीआईजी ‘आईपीएस’ के लिए 254 पद स्वीकृत थे। इनमें से 164 पद थे। आईजी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत 135 पदों में से 20 पद खाली पड़े थे। डीजी रैंक के लिए 13 पद स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से दो पद खाली थे। एसडीजी ‘आईपीएस’ के 10 में से 3 पद रिक्त थे। एडीजी ‘आईपीएस’ के 27 पदों में से चार पद खाली रहे। उस दौरान एसपी ‘आईपीएस’ के लिए स्वीकृत पदों की संख्या 199 थी, लेकिन इनमें से 97 पद रिक्त रहे। हैरानी की बात रही कि उस वर्ष बीएसएफ में आईपीएस डीआईजी के 26 पदों में से 22 पद खाली थे। सीआरपीएफ में ये पद 38 थे, जिनमें से केवल एक ही पद भरा हुआ था।

सीबीआई में 35 में से 20 पद खाली थे जबकि सीआईएसएफ में 20 में से 16 पद रिक्त थे। आईबी में आईपीएस डीआईजी के 63 में से 28 पद और आईपीएस एसपी के 83 में से 49 पद खाली रह गए थे।

Compiled: up18 News