मानहानि मामले में राहुल को राहत नहीं, सजा के खिलाफ अपील खारिज

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साल 2019 में मोदी सरनेम को लेकर दिए गए बयान पर सूरत की सेशन कोर्ट ने उन्हें दो साल की सज़ा सुनाई जिसके खिलाफ़ उन्होंने अपील दायर की थी। सेशन कोर्ट के फ़ैसले के बाद बीते महीने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी।

आज अदालत ने अपने आदेश में कहा कि उन्हें अपने शब्दों के साथ अधिक सावधान रहना चाहिए था क्योंकि वह तब संसद के सदस्य थे और देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के प्रमुख थे। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता से ‘नैतिकता के उच्च स्तर’ की अपेक्षा की जाती है और निचली अदालत ने वही सजा सुनाई थी जिसकी कानून में अनुमति है।

भाजपा नेता ने राहुल के खिलाफ दर्ज कराया था मानहानि का मामला

भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी के द्वारा राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया गया था। अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत गांधी को 23 मार्च को दोषी ठहराया था और उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी। इसके एक दिन बाद 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए गांधी को जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

राहुल गांधी को अपने शब्दों के साथ अधिक सतर्क रहना चाहिए था

अदालत ने कहा कि मानहानिकारक शब्द बोलकर और ‘मोदी’ उपनाम वाले व्यक्तियों की तुलना चोरों से करके निश्चित रूप से शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की मानसिक पीड़ा और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है, जो सामाजिक रूप से सक्रिय हैं और सार्वजनिक रूप से व्यवहार करते हैं।

अदालत ने कहा कि यह एक विवादित तथ्य नहीं है कि अपीलकर्ता संसद सदस्य और दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के अध्यक्ष थे और अपीलकर्ता के ऐसे कद को देखते हुए उन्हें अपने शब्दों के साथ अधिक सतर्क रहना चाहिए था जिसका लोगों के दिमाग पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

पीठ ने गांधी के वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि किसी ‘समुदाय के खिलाफ’ मानहानि नहीं हो सकती। इस तरह के समुदाय की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है, लेकिन प्रतिष्ठा केवल व्यक्तिगत सदस्यों की होगी। जब मानहानिकारक मामला किसी निश्चित वर्ग या समूह के प्रत्येक सदस्य को प्रभावित करता है, तो उनमें से प्रत्येक या उनमें से सभी कानून को गति दे सकते हैं।

Compiled: up18 News


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