पाकिस्तान के द न्यूज़ इंटरनेशनल न्यूजपेपर के मुताबिक टीवी चैनलों को 2015 के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कोड ऑफ कंडक्ट का पालन करने वाला एक आदेश दिया गया है, जिसके तहत अब आतंकी हमलों के कवरेज पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।
मीडिया का फायदा उठाते हैं आतंकी
PEMRA के निर्देश के मुताबिक कई बार फौरन दिखाई गई ये खबरें वेरिफाइड भी नहीं होतीं। ऐसे में अराजकता पैदा होती है। इतना ही नहीं, ये सब देखने के बाद आतंकवादी भी पॉलिटिकल एडवर्टाइजिंग के लिए मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।
इसके अलावा आतंकी घटनाओं के मीडिया कवरेज से आतंकी समूहों को अपनी ताकत दिखाने का और अपनी ताकत की तुलना प्रतिद्वंद्वी आतंकी संगठन से करने का मौका मिल जाता है।
पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन नहीं हो रहा
PEMRA ने निर्देश जारी करते हुए कहा- न्यूज चैनल्स को कई बार आचार संहिता का पालन करने के आदेश दिए गए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चैनल्स सबसे पहले और सबसे तेज खबर दिखाने की होड़ में लग जाते हैं। ब्रेकिंग न्यूज दिखाने की रेस में वो पत्रकारिता के सिद्धांतों को भूल जाते हैं।
क्राइम सीन से जुड़ी तस्वीरें दिखाना पत्रकारिता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। टीवी चैनल्स के कर्मचारी अपनी जान को खतरे में डालते हैं, साथ ही उनके घटनास्थल पर होने से रेस्क्यू ऑपरेशन में भी दिक्कत आती है।
पिछले 3 महीनों में बढ़े आतंकी हमले
PEMRA का ये निर्देश पिछले 3 महीनों में देश में बढ़ी आतंकी घटनाओं के बाद सामने आया है। करीब दो महीने पहले इस्लामाबाद के रेड जोन में पुलिस ने रूटीन चेक के लिए एक टैक्सी को रोका तो ड्राइवर ने खुद को बम से उड़ा लिया। इस हमले में एक अफसर समेत कुल 4 पुलिसवाले मारे गए।
फरवरी 2023 की शुरुआत में पेशावर की पुलिस लाइन्स की मस्जिद में फिदायीन हमला हुआ था। तब दोपहर की नमाज के वक्त मस्जिद में करीब 500 लोग मौजूद थे। फिदायीन हमलावर बीच की एक लाइन में मौजूद था। उसने खुद को उड़ा लिया। इस घटना में 110 पुलिसवाले मारे गए।
18 फरवरी को कराची के शराह-ए-फैसल इलाके में स्थित 5 मंजिला पुलिस हेडक्वार्टर में कुछ आतंकियों ने हमला कर दिया था। हमले में एक पुलिस अफसर, एक रेंजर समेत 4 की जान चली गई। 18 लोग घायल हुए। तीन आतंकी भी मारे गए।
Compiled: up18 News