मधुमक्खियों के डंक से किया जा रहा है NCP नेता एकनाथ खडसे का इलाज

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आमतौर पर इंसान मधुमक्खियों से बचता फिरता है ताकि कहीं वो उनके डंक का शिकार न हो जाए। शायद आप भी ऐसा ही करते होंगे। हालांकि, महाराष्ट्र एनसीपी के कद्दावर नेता और राज्य के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे इन दिनों मधुमक्खियों से खुद को डंक मरवाने के लिए चर्चा में हैं। यह सुनकर आपको भी हैरत हो रही होगी लेकिन यह सच है।

दरअसल, खडसे का इलाज अब मधुमक्खियों के डंक से किया जा रहा है। इलाज के इस तरीके से उन्हें काफी फायदा भी मिल रहा है। उनका इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से किया जा रहा है। वे बीते कई सालों से पीठ और घुटने के दर्द से परेशान थे। लंबे समय से खडसे बिना सहारे के नहीं चल पा रहे थे। बीमारी के दौरान खडसे कुछ समय तक व्हीलचेयर पर भी आश्रित थे।

मधुमक्खी के डंक से इलाज

एकनाथ खडसे का इलाज महाराष्ट्र स्थित औरंगाबाद जिले के डॉक्टर नांदेडकर कर रहे हैं। इस उपचार के जरिए हाई ब्लड प्रेशर, शूगर और थायराइड की समस्या से ग्रसित कई लोग अब तक ठीक हुए हैं। इलाज करने वाले डॉक्टर नांदेडकर का दावा है कि इस उपचार पद्धति में अपाक फ्लोरा नामक मधुमक्खी का उपयोग किया जाता है। मधुमक्खी के डंक का डोज़ मरीज की कमर के निचले हिस्से के एक खास हिस्से में दिया जाता है। इससे मधुमक्खी का जहर मरीज के शरीर में फैल जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में आमतौर पर तकरीबन 30 सेकेंड का वक्त लगता है। मधुमक्खी के डंक से इंसान के शरीर में प्रविष्ट होने वाला जहर संतुलित मात्रा में होता है जिसका फायदा मरीज को मिलता है।

देश के कई हिस्सों में इलाज करवा चुके हैं खडसे

एकनाथ खडसे के मुताबिक अपनी तकलीफ के इलाज के लिए उन्होंने देश के कई राज्यों में यात्रा की है। उन्होंने बताया कि जहां-जहां उन्हें पता चला कि उनकी बीमारी का इलाज हो सकता है। उन सारी जगहों पर खडसे ने इलाज करवाया लेकिन उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ था। लिहाजा अब वे मधुमक्खी के डंक के जरिये होने वाले इलाज का लाभ ले रहे हैं।

इलाज से कम हुआ दर्द

एकनाथ खडसे ने बताया कि इलाज के लिए गए वे महाराष्ट्र से निकलकर जोधपुर और केरल भी गए। उनका इलाज मुंबई में भी किया गया लेकिन उनकी तकलीफ कम नहीं हुई। खडसे के मुताबिक मधुमक्खी के काटने की चिकित्सा पद्धति के जरिए उन्हें 70 से 80 प्रतिशत आराम मिल रहा है। वे बताते हैं कि अब बिना सहारे के वह चल फिर सकते हैं। यहां तक कि छोटी सीढ़ियां भी चढ़ने में उन्हें अब दिक्कत नहीं होती है।

-एजेंसियां